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मंदसौर के शराब कारोबारी अनिल त्रिवेदी के ठिकानों पर ED की बड़ी रेड, करोड़ों के हेरफेर की खबर

ED Raid Mandsaur : 10 साल पहले करीब 25 करोड़ रुपए के लेनदेन मामले में ईडी ने अनिल त्रिवेदी के परिवार के सदस्यों से पूछताछ शुरु की है।

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ED Raid Mandsaur

ED Raid Mandsaur :मध्य प्रदेश में सोमवार सुबह से शराब कारोबारियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। प्रदेश के मंदसौर समेत 11 ठिकानों पर अलग-अलग शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापामारी की जा रही है। प्रदेश के अन्य शराब कारोबारियों की तरह मंदसौर के कथित शराब कारोबारी अनिल त्रिवेदी के परिवार के ठिकानों पर तड़के 4 बजे ईडी की रेड पड़ी। इन पर भी ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेरफेर कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाने के आरोप है।

शहर के जनता कॉलोनी में रहने वाले शराब कारोबारी कथित अनिल त्रिवेदी के पारिवारिक ठिकानों पर छापामारी की जा रही है। तड़के 4 बजे ईडी ने अछानक अलग अलग ठिकानों पर छापामारी की है। आपको बता दें कि, अनिल त्रिवेदी की 10 साल पहले हुए गैंगवार में हत्या कर दी गई थी। ये पूर्व में आबकारी विभाग में पदस्थ था। हत्या मंदसौर-प्रतापगढ़ रोड पर हुई थी।

करोड़ों के हेरफेर का मामला

शुरुआती जानकारी के अनुसार, 10 साल पहले करीब 25 करोड़ रुपए के किसी लेनदेन के मामले में ईडी ने अनिल त्रिवेदी के परिवार के सदस्यों से पूछताछ की है। इसका बेटा राजस्थान में निंबाहेड़ा-उदयपुर में रहता है। बता दें कि, ईडी ने कारोबारी के भोपाल और इंदौर में भी रेड की गई है।

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इस आधार पर जांच शुरू

ईडी ने वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेराफेरी के जरिए सरकारी राजस्व को करोड़ों का चूना लगाने का मामला पकड़ा था। इस मामले में करीब 50 करोड़ रुपए का सरकार को नुकसान पहुंचाया गया। इसके लिए अवैध रूप से शराब अधिग्रहण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल की गई। इस मामले में ईडी ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है।

इस तरह की जाती थी जालसाजी

मामले की जांच के अनुसार, आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में 'रुपए अंकों में' और 'रुपए शब्दों में' लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था, हालांकि 'रुपए शब्दों में' के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। धनराशि जमा करने के बाद जमाकर्ता बाद में उक्त रिक्त स्थान में बढ़ी हुई धनराशि को लाख हजार के रूप में लिख देता था। साथ ही, ऐसी बढ़ी हुई धनराशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी शराब गोदाम में या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा कर देता था।

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अवैध रूप से NOC बनाई

जांच में सामने आया कि इन हेराफेरी किए गए चालानों के आधार पर शराब खरीद के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) भी अवैध रूप से हासिल किए गए थे। इसके चलते सरकार को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। फिलहाल, इस मामले में सभी ठिकानों पर ईडी की जांच चल रही है। आगे कई बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।