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भारतीय रुपया: पहले बना एशिया का बेस्ट परफॉर्मिंग करंसी, अब तेजी से बढ़ रहा धरातल की ओर

डाॅलर के मुकाबले रुपए में यह गिरावट कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आैर कश्मीर में लगातार बढ़ते तनाव की वजह से देखने को मिल रही है। दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह के बाद से अब तक रुपए में 2.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

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भारतीय रुपया: पहले बना एशिया का बेस्ट परफॉर्मिंग करंसी, अब तेजी से बढ़ रहा धरातल की ओर

नर्इ दिल्ली। साल 2019 की शुरुआत से ही डाॅलर के मुकाबले भारतीय रुपए में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भारतीय करंसी यानी रुपया सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला एशियार्इ करंसी बना था। डाॅलर के मुकाबले रुपए में यह गिरावट कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आैर कश्मीर में लगातार बढ़ते तनाव की वजह से देखने को मिल रही है। दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह के बाद से अब तक रुपए में 2.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।


73 को पार जा सकता है रुपया

हालांकि अमरीका-चीन के बीच ट्रेड वाॅर को लेकर कम हुर्इ तल्खी के बीच अन्य एशियार्इ करंसी में तेजी देखने को मिली रही है। सोमवार को डाॅलर के मुकाबले रुपया 71.515 के स्तर पर ट्रेड कर रहा जो जनवरी के पहले सप्ताह में यह 69.23 के करीब था। डीबीएस बैंक लिमिटेड के अाशीष वैद्य का कहना है, "डाॅलर के मुकाबले भारतीय रुपए में इस गिरावट का कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, कश्मीर टेंशन आैर राजनीतिक अनिश्चितता है।" उन्होंने कहा कि यदि ये मुद्दे, खासतौर पर कश्मीर में तनाव का माहौल बरकरार रहता है तो इससे रुपया 73 के स्तर के पार भी जा सकता है।


इन बातों से भी रुपए में गिरावट

बीते गुरुवार को पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। इस दौरान डाॅलर के मुकाबले रुपए में भी गिरावट तेज हो गर्इ है। सउदी अरब व रूस द्वारा उत्पदान कटौती को बढ़ाने के फैसले के बाद इस साल कच्चे तेल की कीमतों में 20 फीसदी की तेजी आर्इ है। वहीं, दूसरी आरे अमरीकी द्वारा वेनेजुएल व र्इरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का दौर देखने को मिल रहा है।


आगामी लोकसभा चुनाव से भी तय होगी रुपए की चाल

गौरतलब है कि रुपए के मुकाबले रूपिया निवेशकों को काफी भा रहा है। बता दें कि रूपिया इंडोनेशिया की करंसी है जिसमें लगातार तेजी देखने को मिल रही है। कर्इ जानकारों का मानना है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा नहीं चुना जाता है तो इससे रुपए में आगे भी गिरावट का दौर देखने को मिल सकता है। इस साल डाॅलर के मुकाबले रूपिया में करीब 2 फीसदी की तेजी रही है भारतीय रुपए में 2 फीसदी से भी अधिक की गिरावट रही है।
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