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क्या खत्म होने जा रही है सऊदी की बादशाहत, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

2018 के मुकाबले 2019 में सऊदी का OIL और Petro Products Export करीब 11 फीसदी गिरा 2019 में सऊदी अरब का क्रूड ऑयल का औसत निर्यात 7.4 मीलियन बैरल प्रति से ज्यादा नहीं हुआ ईरान से प्रतिबंध घटने और अमरीका के प्रोडक्शन बढ़ाने की वजह से सऊदी को लगा है झटका

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Saurabh Sharma

Feb 19, 2020

JODI Reports, Saudi Arabia Oil Exports Dropped 11 percent In 2019

JODI Reports, Saudi Arabia Oil Exports Dropped 11 percent In 2019

नई दिल्ली। अगर कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल का जिक्र आता है तो सबसे पहले नाम सऊदी अरब का आता है। ओपेक लीड करने वाले इस देश में तेल के भंडार अकूत मात्रा में है। इसलिए मिडिल ईस्ट के इस देश ने काफी जल्दी तरक्की भी की है। क्रूड ऑयल मार्केट में एकतरफा मोनोपॉली हासिल की है। वहीं कुछ सालों में सऊदी अरब को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। जिसका असर क्रूड पर उसकी बादशाहत पर भी पड़ा है। ज्वाइंट ऑगर्नाइजेशल डाटा इनिशिएटिव ( JODI ) की ताजा रिपोर्ट और आंकड़ों के अनुसार सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सऊदी अरब की बादशाहत खत्म हो गई है? यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि जो आंकड़े सामने आए हैं वो बेहद चौंकाने वाले है। पढि़ए पूरी डिटेल रिपोट.जर््

हैरान करने वाले हैं JODI के आंकड़े
- साल दर साल के हिसाब से 2019 में सऊदी अरब का ऑयल एक्सपोर्ट 11 फीसदी गिरा है।
- 2019 में ऑयल एक्सपोर्ट ( क्रूड ऑयल और पेट्रो प्रोडक्ट्स भी शामिल ) औसतन 8.339 मीलियन बैरल प्रतिदिन था।
- जबकि 2018 में ऑयल एक्सपोर्ट ( क्रूड ऑयल और पेट्रो प्रोडक्ट्स भी शामिल ) औसतन 9.344 मीलियन बैरल प्रतिदिन था।
- महीने दर महीने के हिसाब से सऊदी अरब के क्रूड ऑयल एक्सपोर्ट दिसंबर 2019 में 7.37 मीलियन बैरल प्रति दिन में कोई बदलाव नहीं हुआ।
- 2019 में किसी भी महीने में सऊदी अरब के क्रूड ऑयल एक्सपोर्ट 7.4 मीलियन बैरल प्रति दिन से ज्यादा कभी नहीं रहा।
- सितंबर 2019 में सऊदी अरामको पर हमले की वजह से ऑयल एक्सपोर्ट 6.67 मीलियन बैरल प्रति दिन पर चला था जो 22 महीने का निचला स्तर था। उस दौरान प्रति दिन के हिसाब से एक हफ्ते के लिए ग्लोबल सप्लाई 5 फीसदी कम हो गई थी।

यह बन रही है सबसे बड़ी वजह
जब से ईरान का मसला हल्का पड़ा है और अमरीकी प्रतिबंध कम हुए हैं, तब से ईरान की ओर ऑयल प्रोडक्शन कम हो गया है। ईरान के पुराने ग्राहक फिर से सऊदी को छोड़ ईरान की ओर से मूव कर गए हैं। जिसका असर सऊदी के एक्सपोर्ट पर पड़ा है। वहीं कुछ देश जो ओपेक से नाराज हुए हैं उन्होंने भी ईरान और दूसरे देशों से समझौते कर ऑयल इंपोर्ट करना शुरू कर दिया है। जिसका असर सऊदी अरब पर सबसे ज्यादा देखने को मिला है। मौजूदा समय में ईरान के ऑयल कारोबार पर नजर दौड़ाए तो जनवरी 2020 में 2.086 मीलियन बैरल प्रति दिन का प्रोडक्शन किया था। जिसमें से 1.7 मीलियन बैरल प्रति दिन वो अपने देश में ही कंज्यूम कर रहा है। बाकी वो एक्सपोर्ट कर रहा है।

अमरीका इंपोर्टर से एक्सपोर्टर बना
वहीं दूसरी ओर अमरीकी नीतियों का भी सऊदी अरब की क्रूड ऑयल की बादशाहत पर काफी असर डाला है। पांच पहले की बात करें तो अमरीका दुनिया के सबसे बड़े क्रूड ऑयल इंपोर्टर में से एक था। क्रूड ऑयल की कीमतों का असर उसकी जीडीपी पर भी दिखाई देता है। अब स्थितियों में काफी बदलाव देखने को मिला है। पांच साल में अमरीका ने क्रूड ऑयल के मामले में अपने आपको सिर्फ सेल्फ एफिशिएंट ही नहीं बनाया बल्कि अपने आपको बड़ा एक्सपोर्टर भी बना लिया है। अब जब ओपेक क्रूड ऑयल की कीमतों को बढ़ाने के लिए प्रोडक्शन कम करता है तो अमरीका अपने मित्र देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए इंवेंट्रीज खोल देता है। जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की कीमतों पर कम असर देखने को मिलता है। 2019 नवंबर के आंकड़ों के अनुसार अमरीका 3.19 मीलियन बैरल प्रति दिन के हिसाब से क्रूड ऑयल एक्सपोर्ट कर रहा है।

कोरोना वायरस का असर
वहीं दूसरी ओर क्रूड ऑयल मार्केट में कोरोना वायरस का असर भी देखने को मिल रहा है। JODI की रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया गया है। साथ ही रेटिंग एजेंसी भी इस बात का जिक्र कर चुकी हैं कि कोरोना वायरस की वजह से दुनिया की जीडीनी में एक फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर क्रूड ऑयल की डिमांड भी कम होगी। ऐसे में साफ है कि डिमांड कम होने के कारण सऊदी अरब का एक्सपोर्ट कम होगा। मौजूदा समय में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर चीन में देखने को मिल रहा है। जो दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल इंपोर्टर है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जोर
दुनियाभर के देश अब पेट्रोल और डीजल की कंजप्शन को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओर मूव कर रहे हैं। टेस्ला, फोक्सवैगन और मोरिस गैरिजेस जैसी कंपनियां दुनिया में इलेक्ट्रिक कारों के अलावा ट्रक और बाकी हैवी व्हीकल तैयार करके दे रही हैं। वहीं भारत भी इलेक्ट्रिक व्हीकल की पॉलिसी पर काम ही नहीं कर रहा है बल्कि उस पर इनिशिएटिव भी ले रहा है। हाल ही में हुए ऑटो एक्सपो 2020 में इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स का ज्यादा जोर देखने को मिला है। मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में व्हीकल के लिए क्रूड ऑयल का इंपोर्ट करना काफी होगा। जिसका असर सऊदी अरब के एक्सपोर्ट में देखने को मिलेगा।