क्या रहा सबसे बड़ा कारण
अप्रैल माह के बाद पहली बार लोकल बेंचमार्क में यील्ड में गिरावट देखने को मिली है। जानकारों को मानना है कि ये गिरावट केंद्रीय बैंक द्वारा अधिक डेट खरीदने के बाद आया है। आरबीआर्इ ने फैसला लिया है वो पहले से तय डेट के अपेक्षा अधिक डेट खरीदेगा। इस मामले से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बताया, “बाॅन्ड आैर भारतीय रुपए के लिहाज से यह एक अच्छी बात है। कच्चे तेल का भाव इसके लिए सबसे बड़ा कारक साबित हुआ है।” उन्होंने आगे कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में यह गिरावट वैश्विक इक्विटी बाजार, फेड रिजर्व के फैसले आैर बीते कुछ समय में डाॅलर में आर्इ तेजी की वजह से आया है। इन सबका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिलेगा।
भारत को हुआ फायदा
उल्लेखनीय है कि भारतीय परिसंपत्तियसों के लिहाज से कच्चे तेल का भाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसका सीधा असर देश के वित्त आैर महंगार्इ दर पर पड़ता है। भारत एशिया का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है आैर अपनी जरूरत का कुल 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। एेसे में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आैर बाॅन्ड व रुपए में मजबूती से मौजूदा तिमाही में भारत को फायदा हुआ है।
कितनी आर्इ तेजी
बुधवार को डाॅलर के मुकाबले रुपए में 0.8 फीसदी की तेजी देखने को मिली। इसके पहले मंगलवार को 1.6 फीसदी की तेजी दर्ज की गर्इ है। साथ ही वर्तमान तिमाही में रुपए में कुल 3.4 फीसदी मजबूती आर्इ है। अप्रैल माह के बाद पहली बार बुधवार को 10 वर्षीय यील्ड बाॅन्ड 8 बेसिस अंक गिरकर 7.26 फीसदी पर आ गया है। इसके पहले मंगलवार को 12 बेसिस अंक की गिरावट दर्ज करी गर्इ थी।
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