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दुनिया के ये देश 45 हजार करोड़ रुपए की खा गए भारतीय मछली आैर झींगा

वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने सात अरब डॉलर से अधिक का समुद्रीय खाद्य पदार्थ का निर्यात किया, जिसमें खासतौर से झींगा मछली और उसी श्रेणी की अन्य मछलियां शामिल हैं।

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Saurabh Sharma

Jul 03, 2018

Fish and shrimp

दुनिया के ये देश 45 हजार करोड़ रुपए की खा गए भारतीय मछली आैर झींगा

नर्इ दिल्ली। कौन कहता है कि दुनिया में भारत का सिर्फ शाकाहारी भोजन ही लोकप्रिय है। यहां का मांसाहारी भोजन भी दुनिया के कर्इ देशों में उतना ही प्रसिद्घ है जितना शाकाहारी। इस बार जो रिपोर्ट सामने आर्इ है वो आैर भी चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार अमरीका आैर युरोप समेत दुनिया के कर्इ देश भारत का झींगा आैर मछली काफी पसंद कर रहे हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि एक साल ये देश भारतीय झींगा आैर मछली पर पर 7.08 अरब डॉलर यानि 45,106.89 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं।

45,106.89 करोड़ रुपए का समुद्री भोजन
बीते वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने सात अरब डॉलर से अधिक का समुद्रीय खाद्य पदार्थ का निर्यात किया, जिसमें खासतौर से झींगा मछली और उसी श्रेणी की अन्य मछलियां शामिल हैं। समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) की विज्ञप्ति के अनुसार भारत ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 13,77,244 मीट्रिक टन समुद्री खाद्य निर्यात करके 7.08 अरब डॉलर अर्जित किया। रुपए के मूल्य में यह राशि 45,106.89 करोड़ रुपए है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में 37,870.90 करोड़ रुपए मूल्य के समुद्री उत्पादों का निर्यात किया गया था। इस प्रकार, 21.35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

इन देशों को खाया भारतीस समुद्री भोजन
अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया ने भारत के समुद्री खाद्य उत्पादों के प्रमुख आयातक के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी और इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 32.76 प्रतिशत रही, जबकि दक्षिण पूर्व एशिया की हिस्सेदारी 31.59 प्रतिशत रही। इसके बाद यूरोपीय संघ (15.77 प्रतिशत), जापान (6.29 प्रतिशत), मध्य पूर्व (4.10 प्रतिशत) और चीन (3.21 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही।

2022 तक 10 अरब डाॅलर का लक्ष्य
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. ए. जयतिलक ने कहा, "वैश्विक समुद्री खाद्य व्यापार में निरंतर अनिश्चितताओं के सामने भारत अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रशीतित झींगा और प्रशीतित मछली के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति को कायम रखने में सक्षम रहा है। कई पहलों और नीतियों की मदद से, हम 2022 तक 10 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं।