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गोवर्धन का मुड़िया पूर्णिमा मेला: दानघाटी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

परिक्रमार्थी अपनी सुध-बुध खोये गिरिराज महाराज की परिक्रमा लगा रहे हैं। मंगलवार को तेज धूप व उमस के बाद हल्की बरसात ने मौसम को खुशनुमा कर दिया।

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मथुरा

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Amit Sharma

Jul 24, 2018

Govardhan Parikrma

गोवर्धन का मुड़िया पूर्णिमा मेला: दानघाटी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

मथुरा। आस्था के मिनी कुंभ मुड़िया पूर्णिमा मेला में अथाह जनसैलाब उमड़ रहा है। मुड़िया पूर्णिमा मेला शुरू होते ही लाखों श्रद्धालु गिरिराज जी की शरण में पहुंच रहे हैं। जयकारों के साथ श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है। परिक्रमार्थियों को कंकड़-पत्थर की चुभन की कोई परवाह नहीं है। उमस भरी गर्मी भी श्रद्धालुओं को उत्साह को कम नहीं कर रही है।

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शाम ढलते ही भीड़ का सैलाब परिक्रमा मार्ग में उमड़ने लगा है। बस स्टैंड हो या रेलवे स्टेशन चहुंओर गिरिराज महाराज के जयकारों के बीच श्रद्धालु चले आ रहे हैं। गिरिराज महाराज के मुड़िया मेला का नजारा किसी कुंभ से कम नहीं है। इस बार मेला के दो दिन पहले ही भीड़ का आवागमन शुरू हो गया। अनुमानतः अब तक तीन दिन में दस लाख श्रद्धालुओं की संख्या का आंकड़ा गोवर्धन महाराज की परिक्रमा कर चुका है। परिक्रमार्थी अपनी सुध-बुध खोये गिरिराज महाराज की परिक्रमा लगा रहे हैं। मंगलवार को तेज धूप व उमस के बाद हल्की बरसात ने मौसम को खुशनुमा कर दिया। मुड़िया मेला में जगह-जगह लगे सेवा शिविर व धार्मिक कार्यक्रम माहौल को भक्तिमय बना रहे हैं। मानसी गंगा के फुव्वारों में श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। यहां आने वाले परिक्रमार्थी गिरिराज जी का दुग्धाभिषेक व पूजन-अर्चन कर रहे हैं।

21 किमी की मानव श्रंखला

देश के कोनेे-कोने से परिक्रमा करने आये श्रद्धालु गिरिराज धाम के पांच गांवों से मानव श्रंखला बनाकर एक माला में पिरो लेते हैं। भक्ति की डोर खींचे यह माला गिरिराज जी की तलहटी में देखने को मिल रही है। न छोटे का भेद न बड़े का भेद। इस श्रंखला में सभी एक समान भाव से नजर आ रहे हैं। मन में चाहत उस माला के कदमों को पूरी करने की जो कि शुरूआत से अंतिम में जाकर थमते हैं। भक्ति की चादर ओढ़े इस मानव रूपी माला के बीच गिरिराज पर्वत श्रंखला के अनुपम दर्शन होते हैं। मानव श्रंखला रूपी माला उन गांवों को जोड़ती जो कि पौराणिक धरोहर संजोये हुए हैं। वैसे इस माला की शुरूआत कहीं से भी होती है, लेकिन पारंपरिक शुरूआत तलहटी दानघाटी मंदिर से होती है जो कि 60 हजार की आबादी वाले पांच गांवों की बीच 50 मंदिर 200 दुकानें, 70 धर्मशालाएं तथा एक दर्जन कुंड श्रद्धालुओं के आकर्षण केन्द्र बने हुए हैं। गांव आन्यौर, पूंछरी, जतीपुरा, गोवर्धन व राधाकुंड से होकर पूरी होती है। पग-पग पर आस्था बिखेरे सात कोस लंबे पांच गांवों के बीच ठाकुर जी करीब 50 मंदिर हैं। परिक्रमा की शुरूआत मंदिर दानघाटी से होती है आगे चलते हैं तो आन्यौर में साक्षी गोपाल मंदिर, पूंछरी में पूंछरी के लौठा, जतीपुरा में मुखारविंद मंदिर, कस्बा गोवर्धन लक्ष्मी नारायण मंदिर, राधाकुंड में कैला देवी मंदिर, गोवर्धन हरिगोकुल मंदिर, मुकुट मुखारविंद मंदिर में विराजमान गिरिराज प्रभु के दर्शन होते हैं।