हरियाली-तीज के पर्व का मथुरा-वृन्दावन में विशेष महत्त्व है। इस दिन यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों में विराजमान ठाकुरजी को झूला झुलाने की परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन पहली बार वृन्दावन की पवित्र भूमि पर कृष्ण ने राधा संग झूला झूलने का आनंद लिया था। तब से लेकर आज तक मथुरा-वृन्दावन के सभी प्रमुख मंदिरों में उसी परंपरा का पालन हो रहा है। वैसे तो हरियाली-तीज पर वृन्दावन के सभी प्रमुख मंदिरों में झूले सजाये जाते हैं, लेकिन विश्वप्रसिद्ध बाँकेबिहारी मंदिर में इस दिन एक विशाल ‘स्वर्ण-हिंडोला’ सजाया जाता है। 32 फुट चौड़े और 12 फुट ऊँचे सोने और चांदी से बने इस विशाल झूले में भगवान बाँके बिहारी झूलन उत्सव का आनंद लेते हैं। उनके दोनों तरफ खड़ी सखियाँ उन्हें झूला झुलाती हैं। हरियाली-तीज के मौके पर हरे रंग के महत्त्व को देखते हुए ठाकुरजी को हरे रंग की विशेष पोशाक पहनाई जाती है। मंदिर में सावन का एहसास कराने के लिए सावन के सभी रंगों से सजावट की जाती है। इस दिन ठाकुरजी को घेवर का विशेष भोग लगाया गया। अपने आराध्य भगवान बाँकेबिहारी को ‘स्वर्ण-हिंडोले’ में झूलते हुए दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हरियाली-तीज के मौके पर वृन्दावन आए।
रात्रि 12 बजे तक खुलेंगे कपाट
हरियाली-तीज के मौके पर बाँकेबिहारी मंदिर के कपाट विशेष रूप से सुबह से भगवान के दर्शन खुले हुए हैं, ताकि दूर-दूर से आये श्रद्धालुओं को भारी भीड़ की वजह से ठाकुरजी के इस अनुपम दर्शनों से वंचित ना रहना पड़े । मंदिर में ठाकुरजी के इस स्वर्ण-हिंडोला दर्शन का क्रम शनिवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। इसके बाद शयन आरती कर इस मौके के लिए विशेष रूप से तैयार की गई शय्या पर ठाकुरजी को शयन कराया जायेगा।