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शनिदेव के इस मंदिर पर विदेशी भी आते हैं दर्शन करने, बन जाते हैं तुरंत बिगड़े काम

उत्तर भारत का सबसे प्राचीन मंदिर है कोकिलावन में, जानिए पूरा राज

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Shanichari Amavasya

Shanichari Amavasya

मथुरा। पूरे देश में शनि-अमावस्या का पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया गया। सभी शनि मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही। मथुरा के कोकिलावन में स्थित उत्तर भारत के सबसे प्राचीन शनि मंदिर में भी Shani Amavasya के मौके पर ख़ासा उत्साह देखने को मिला। यहां दूर-दूर से आये भक्तगणों ने शनिदेव की पूजा-अर्चना कर अपने मंगल की कामना की ।

ये है मान्यता

मथुरा से करीब 55 किलो मीटर दूर स्थित है। शनि का धाम कोकिलावन हर शनिवार को हजारों भक्त दर्शन के लिए आते है। शनिवार को कई सालों में शनि अमावस्या होने के कारण पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग दर्शन के लिए आये है। कोकिलावन का ये शनि मंदिर शनिदेव की जय-जयकार से गूँज रहा मंदिर प्रांगण। यहाँ हजारों की संख्या में नहीं बल्कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु आये। कोकिलावन में स्थित शनिदेव का मंदिर है। सभी भक्त यहाँ शनि-अमावस्या के मौके पर शनिदेव को मनाने के लिए आये हुये है। शनि-अमावस्या का संयोग ये है कि इस बार ये शनिवार के दिन ही है।

माना जाता है कि सालों बाद ऐसा सुखद और अनूठा संयोग देखने को मिलता है। इसी संयोग के मौके पर भक्तगण शनिदेव के दर्शन कर पूजा-अर्चना में लगे हुये है। मथुरा के समीप स्थित यह मंदिर उत्तर भारत का सबसे प्राचीन शनि-मंदिर है। इसकी कहानी भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है। कृष्ण ने शनिदेव को वरदान दिया था कि कलियुग में इसी स्थान पर लोग उनकी पूजा-अर्चना करेंगे और तब से लेकर आजतक शनिदेव यहीं विराजमान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यहाँ कोकिलावन शनिदेव मंदिर में भक्तगण काली उड़द, काले तिल और सरसों के तेल से शनिदेव कि पूजा-अर्चना करते है । शनि-अमावस्या के मौके पर आज हुये इस सुखद संयोग की वजह से ही दूर-दूर से भक्तगण शनिदेव को प्रसन्न करने आ रहे है, ताकि शनि की साढे-साती और ढहीया से बचा जा सके।

यह कोकिलावन शनिदेव की महिमा और शनि-अमावस्या के इस सुखद संयोग का प्रभाव ही है कि देश-विदेश के कोने-कोने से भक्तगण शनिदेव को मनाने के लिये पहुँचे हुये है। मंदिर तक पहुँचने के लिये घंटों तक मंदिर की लाइन में लगे रहने पर भी उन्हें परेशानी महसूस नहीं हो रही है ।

सभी कष्टों को हर लेते है शनि देव

शनि देव मंदिर के दर्शन करने जयपुर से आयी शालू शर्मा ने बताया की मैं अपने परिवार के साथ शनिदेव के दर्शन करने आयी हूँ। अमावस्या का दिन होने के कारण बहुत भीड़ है। कई घंटे से लगे हुए है मंदिर में प्रवेश करने बाली लाइन में पता नहीं कब अंदर जाने का मौका मिलेगा। माना जाता है की आज के दिन शनि देव दर्शन कर पूजा करता है उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।