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पौराणिक एवं शास्त्रीय परंपराओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान के जन्माभिषेक महोत्सव के दर्शन करने के लिए देवा, देवाधिदेव महादेव, सहित 33 कोटि देवता उपस्थित रहते हैं। भगवान का प्रथम जन्माभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत से निमिर्त कामधेनु स्वरूपा गौ माता करेंगी। शास्त्रीय मान्यता है कि गौ माता में स्वयं 33 कोटि देवतागण वास करते हैं। रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुरजी के श्रीविग्रह का अभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत गौ विग्रह के पयोधरों से निकली दुग्धधारा से होगा। ठाकुर जी के अभिषेक से पूर्व गौमाता का पूजन कर देवताओं का आव्हान किया जायेगा।
पौराणिक एवं शास्त्रीय परंपराओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान के जन्माभिषेक महोत्सव के दर्शन करने के लिए देवा, देवाधिदेव महादेव, सहित 33 कोटि देवता उपस्थित रहते हैं। भगवान का प्रथम जन्माभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत से निमिर्त कामधेनु स्वरूपा गौ माता करेंगी। शास्त्रीय मान्यता है कि गौ माता में स्वयं 33 कोटि देवतागण वास करते हैं। रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुरजी के श्रीविग्रह का अभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत गौ विग्रह के पयोधरों से निकली दुग्धधारा से होगा। ठाकुर जी के अभिषेक से पूर्व गौमाता का पूजन कर देवताओं का आव्हान किया जायेगा।
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ठाकुर जी के श्रीविग्रह का दूध, दही, घी, बूरा और शहद आदि सामिग्रियों से दिव्य अभिषेक किया जायेगा। जन्माभिषेक के उपरांत इस महाप्रसाद का वितरण जन्मभूमि के निकास द्वार के दोनों ओर से किया जायेगा। भगवान का जन्म महाभिषेक रात्रि 12.15 बजे से रात्रि 12.30 बजे तक चलेगा। इसके बाद 12.40 से 12.50 तक श्रंगार आरती के दर्शन होंगे। जन्म के दर्शन रात्रि 1.30 बजे तक खुले रहेंगे।
ठाकुर जी के श्रीविग्रह का दूध, दही, घी, बूरा और शहद आदि सामिग्रियों से दिव्य अभिषेक किया जायेगा। जन्माभिषेक के उपरांत इस महाप्रसाद का वितरण जन्मभूमि के निकास द्वार के दोनों ओर से किया जायेगा। भगवान का जन्म महाभिषेक रात्रि 12.15 बजे से रात्रि 12.30 बजे तक चलेगा। इसके बाद 12.40 से 12.50 तक श्रंगार आरती के दर्शन होंगे। जन्म के दर्शन रात्रि 1.30 बजे तक खुले रहेंगे।