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Follow Up . न बिल्डिंग, न कॉलेज और न ही लैब फिर भी करोड़ों का घोटाला,अधिकारीयों के कार्यालयों में पसरा सन्नाटा

- मथुरा आईटीआई कॉलेजों में घोटाले के बाद समाज कल्याण कार्यालय में पसरा सन्नाटा - 23 करोड़ रूपये के ग़बन में समाज कल्याण अधिकारी हुए थे निलंबित - घोटाले के बाद कोई अधिकारी नहीं आ रहा है सामने - बलदेव विधायक ने मामले की जाँच की की थी मुख्यमंत्री से अपील - मुख्यमंत्री की निगरानी में हुई थी मामले की जाँच

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मथुरा

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arun rawat

Dec 30, 2020

समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी - फ़ोटो - पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क

समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी - फ़ोटो - पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क

निर्मल राजपूत

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क मथुरा. न बिल्डिंग, न कॉलेज और न ही लेब फिर भी मथुरा में आईटीआई ( ITI ) की शिक्षा। ऐसे ही कई ( ITI )आईटीआई कॉलेजो का भण्डाफोड़ हुआ है। जिनमे समाज कल्याण विभाग द्वारा करोड़ो की छात्रवर्ती दी गयी। जिले में प्राइवेट आईटीआई ( ITI )संस्थानों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में अनियमितता, भ्रष्टाचार और गबन के मामले में मथुरा के जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को सस्पेंड कर दिया गया है। वही 3 अन्य कर्मचारी पर भी इसकी गाज गिरी है। संबंधित संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर ( FIR )कराई जाएगी। साथ ही संबंधित आईटीआई कॉलेजों को शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति के लिए ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।

सीएम योगी ने भ्रष्टाचार ( Coppution )के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुरूप मथुरा जिले के 4 दर्जन से अधिक निजी आईटीआई ( ITI )कॉलेजों में हुए इस घोटाले की जांच के निर्देश दिए थे। जांच में अलग-अलग तरीकों से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर करीब 23 करोड़ रुपए गबन होने की बात सामने आई। इसके अलावा दर्जन भर अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत की पुष्टि भी हुई है। सीएम योगी ने सभी दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों व संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश दिए हैं। वहीं, जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। वहीं इस मामले को सामने लाने वाले मथुरा के भाजपा विधायक पूरन प्रकाश का कहना है कि उनके द्वारा इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया गया था और इसकी जांच हुई तो पाया इस मामले में जो छात्र हैं वह किसी अन्य स्कूल में या कॉलेजों में पढ़ते हैं, लेकिन उनके नाम से यह फर्जी रजिस्ट्रेशन कराए गए और उन्हें छात्रवृत्ति दी गई।

उन्होंने इस मामले का भंडाफोड़ करने की ठान ली और इसके खिलाफ तमाम सबूत इकट्ठा करना शुरू कर दिया देखते ही देखते मामला करोड़ों में जा पहुंचा एक और जहां सरकार चाहती है कि कमजोर वर्ग के लोगों को पढ़ा लिखा कर सक्षम बनाया जाए तो वही सरकार के नुमाइंदे इस पूरे मामले को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं।


मुख्यमंत्री के द्वारा जिले के समाज कल्याण अधिकारी पर की गयी कार्यवाई से जिले का समाज कल्याण विभाग का कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। आईटीआई भ्रष्टाचार मामले को लेकर सभी अधिकारीयों ने भी चुप्पी साधी हुई है।