
अधिकारियों ने बीमा कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों के साथ किया ’धोखा’
मथुरा। किसान की आय दोगुनी करने के सरकार के प्रयास कितने फलीभूत होंगे इसे समझने के लिए नेता और अधिकारियों के आंकड़ों की बजाय किसान की जुबानी सुना जाये तो बेतर तस्वीर सामने आती है। किसान क्रेडिट कार्ड यानी केसीसी Kisan credit card (KCC) में किसान के लिए फसल का बीमा अनिवार्य है। जनपद के अधिकांश किसानों के पास केसीसी लोन है। इसीके चलते अधिकांश किसान बीमा Farmer Insurance आच्छादित हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बीमा कराना अनिवार्य है। इतना ही नहीं किसान इस बीमा farmer Crop Insurance के लिए किसान की सहमति नहीं ली जाती और बीमा राशि काटने के बाद ही किसान को भुगतान किया जाता है।
बात यहीं निपट जाती तो गनीमत थी। बीमा कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने किसानों के साथ बड़ा धोखा कर दिया है। कंपनी किसीको हर फसल पर बीमा नहीं दे रही है। चुनिंदा फसलों पर ही बीमा कवर दिया जा रहा है। बीमा कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने क्षेत्र की उस फसल को बीमा कवर के लिए सूचीबद्ध नहीं किया है जिसकी खेती क्षेत्र में सबसे ज्यादा होती है।
इसी का दुखड़ा लेकर किसान जिलाधिकारी के पास पहुंचे। किसानों ने जिलाधिकारी को बताया कि उनके यहां धान की खेती बहुतायत में होती है। धान की फसल नाजुक है। इससे किसान को कई बार बडा घाटा उठाना पडता है। रजवाह में पानी नहीं आने या बरसात नहीं होने से धान लगाने वाले किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच जाते हैं। ऐसे धान की फसल का बीमा होना जरूरी है। अधिकारियों ने क्षेत्र में बाजरे की खेती को बीमा फसल की सूची में लिखा है जबकि बाजरे की खेती क्षेत्र में नाममात्र को होती है। बाजरे की फसल इतनी जल्द खराब भी नहीं होती है और बाजरे की बुआई में ज्यादा खर्चा भी नहीं आता है। कुछ नहीं होने पर भी किसान को पशुओं के लिए चारा तो मिल ही जाता है लेकिन धान में ऐसा कुछ नहीं होता, किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
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भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे किसान
झडावई गांव के किसान इसी समस्या के समाधान के लिए जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र से मिले। किसानों ने बताया कि डीएम ने समस्या समाधान का आष्वासन दिया है और इसके लिए एसडीएम को खिला है। गांगोली निवासी किसान प्रेम सिंह ने बताया कि पूरा धान पानी के बिना मरा जा रहा है। रजवाह में पानी नहीं आ रहा है। आगरा तक घूम आये हैं। हमसे कहा गया कि जिलाधिकारी के पास जाइये वहीं आपकी समस्या का समाधान हो सकेगा। कुछ किसान तो इतने गरीब हैं कि उनकी फसल नष्ट हुई तो उनके पास मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा। अगर एक सप्ताह में पानी नहीं मिलता है तो जुताई षुरू हो जाएगी।
वर्जन
किसानों ने बताया कि धान का पूरा क्षेत्र है, यहां से रिपोर्ट शासन को यह भेजी गई है कि यहां बाजरे की खेती होती है। इसके चलते धान की फसल का मुआवजा नहीं मिल पाता है। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि एसडीएम को धान की फसल के लिए लिख दिया गया है।।
होतीलाल, किसान झुडावई
Published on:
22 Jul 2019 08:49 pm
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