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क्या है पूरा मामला अगर मामले की तह में आप को ले जायें तो वर्ष 2001 को होली के दिन बरखेड़ा थाना क्षेत्र मोहमद गंज रामपुरा में सामूहिक नरसंघार हो गया था, जिसमें 34 लोगों को आजीवन कारावास हो गयी थी। जिसमें गांव का ही लालता प्रसाद निरुद्ध हो गया और उसे आजीवन कारावास हो गया। लालता 2001 से ही जेल में है। यह भी पढ़ें
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कुछ दिन पूर्व जब लालता के बेटे छविनाथ ने अपने पिता के नाम की जमीन की खतौनी निकलवाई, तो उसमें 4 लाख 39 हजार रुपए का लोन दर्ज निकला। जो दिनाक 29/04/19 को स्टेट बैंक की एडीबी शाखा से निकला दर्शाया गया था। जिसको देखकर परिजनों के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। परिजनों ने बैंक जाकर पता किया तो पता चला कि लोन के कागजों पर फ़ोटो किसी अन्य व्यक्ति का है, जबकि गारंटर के रूप में गांव के ही शिवचरण का फोटो लगा है। परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत एसपी मनोज सोनकर से की है। जिस पर एसपी ने एसओ बरखेड़ा को जांच के आदेश दिये हैं। यह भी पढ़ें
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बैंक की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवालिया निशान जेल में सजा काट रहे व्यक्ति के नाम लोन निकलने का मामला गंभीर साबित हो रहा है, क्योंकि कहीं ना कहीं इससे बैंक की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। आखिर कैसे बिना जांच पड़ताल की है बैंक ने सजायाफ्ता मुल्जिम के नाम लोन दे दिया क्या बैंक बिना जांच-पड़ताल के लोन बांट रही है या फिर दलालों से सांठगांठ कर ऐसी घटनाएं आम हो रही है। जब मामले की जानकारी के लिये लीड बैंक मैनेजर से संपर्क करने की कोशिस की गई तो उनका नंबर बंद आता रहा।