15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सदियों से चली आ रही है ब्रज में होली की ये अनोखी परंपरा, जलती होलिका से निकलता है पंड़ा

इस बार यहां जलती होलिका के बीच से निकलने की परंपरा का निर्वहन 27 वर्षीय मोनू पंडा करेंगे

2 min read
Google source verification

मथुरा

image

Amit Sharma

Feb 16, 2020

मथुरा। ब्रज की होली का अपनी अनूठी परंपराओं को लेकर देश और दुनिया में अलग स्थान है। इन्हीं में से एक हैं प्रह्लाद के गांव फालेन में जलती होलिका के बीच से निकलने वाला पंडा। इस बार यहां जलती होलिका के बीच से निकलने की परंपरा का निर्वहन 27 वर्षीय मोनू पंडा करेंगे।

यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला, अब तक 9026 लोगों को मिलीं स्वास्थ्य सेवाएं

सैकड़ों सालों से परम्परा को निभाते आ रहे इस परिवार के लोग

बसंत पंचमी से प्रह्लाद मंदिर में विशेष जप पर बैठ मोनू साधना में तल्लीन हैं। इस साल पहली बार मोनू जलती होलिका के बीच से निकलेंगे तो वहीं मोनू इसे भक्त प्रह्लाद की कृपा मान कर पूरी तल्लीनता से उनकी आराधना में जुटे हैं। गांव में इस होली के आयोजन को लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। बता दें कि होलिका दहन के दिन जलती हुई होलिका के बीच से पंडा के निकलने की परंपरा सैंकड़ों साल पुरानी है। गांव में भक्त प्रह्लाद का मंदिर है जिसमें होली दहन से करीब सवा महीने पहले पंडा तप पर बैठ जाता है। करीब 8 साल इस लीला में होलिका के बीच से निकले सुशील पंडा के बेटे 27 वर्षीय मोनू पंडा इस बार जलती होली से निकलने के लिए प्रह्लाद जी का जप कर रहे रहे हैं। जप पर बैठे मोनू पंडा ने बताया कि उनके ही परिवार की कई पीढ़ियां इस परंपरा का निर्वहन करती चली आ रही हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं है और ऐसा केवल प्रह्लाद जी की कृपा से ही संभव हो पाता है। इस बार फालेन में 9 मार्च को जलती होलिका से निकलेगा पंडा।

यह भी पढ़ें- कांग्रेस जिलाध्यक्ष समेत 100 से अधिक पर मुकदमा दर्ज, जानिए पूरा मामला

इस बार इस आयोजन की तैयारी कर रहे मोनू पंडा का कहना है कि बसंत पंचमी से वे प्रह्लाद मंदिर में तप पर बैठ जाते हैं और पूर्णिमा (होलिका दहन) तक व्रत रखकर केवल फलाहार करते हैं। मोनू पंडा ने बताया कि पिछले वर्ष उनके चाचा बाबूलाल जलती होलिका के बीच से निकले थे। उन्होंने बताया कि धधकती होलिका की लपटों के बीच से पंडा का निकल पाना साधना और प्रह्लाद जी की उस माला का प्रताप है जो सैकड़ों वर्ष पहले कुंड से प्रकट हुई प्रह्लाद जी के गले में थी। मोनू बताते हैं कि मूर्ति के साथ स्वयं प्रकट हुई इस माला में बड़े-बड़े 7 मनका थे बाद में मौनी बाबा ने इन्हीं सात मनका से 108 मनका की माला तैयार कराई। मोनू बताते हैं कि कई पीढियां जप करने और होलिका दहन के दिन प्रह्लाद कुंड में स्नान के बाद इस माला को धारण करने के बाद ही आग की लपटों के बीच से सकुशल निकल चुके हैं।