
स्कूल में बच्चों से करवाए जा रहे बर्तन साफ, चतुर्थश्रेणी कर्मचारी न होने का दिया हवाला
मथुरा। 'पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया' इस पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पूरा ध्यान दे रही है लेकिन उसके बावजूद स्कूल संचालकों द्वारा छोटे छोटे बच्चों से कभी बर्तन धुलवाने या कभी स्कूल में सफाई कराने की तस्वीर अक्सर सामने आती रहती है। दिल्ली के राबिआ पब्लिक स्कूल में बच्चों को तहखाने में बंद करके रखने का मामला शांत भी नहीं हुआ कि आज मथुरा के छाता इलाके में सरकारी स्कूल में स्कूली छात्राओं द्वारा जूठे बर्तन साफ़ कराने का मामला शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।
ये है मामला
शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार तमाम दावे कर रही है वहीं सरकार के इन दावों की हकीकत की तस्वीर उस समय साफ दिखाई देती है जब सरकारी विद्यालयों में बच्चे सफाई के लिए झाड़ू लगाते या फिर अपने लिए आने वाले मिड डे मील के बर्तनों को मांजते हुए नजर आते हैं। ऐसी ही एक तस्वीर विकास खण्ड छाता के एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय में देखने को मिली जहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आई छात्राओं से मिड डे मील के भी बर्तन धुलवाए गए। छात्राओं से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अक्सर उन्हें ही बर्तन साफ करने के लिए टीचर बोलती हैं।
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बता दें कि एक ओर तो सरकार बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का संदेश दे रही है और शिक्षा के स्तर में सुधार लाने का दावा कर है वहीं दूसरी तरफ इसके बिल्कुल विपरीत स्थिति देखने को मिलती है जहां शिक्षा के मंदिर में शिक्षा ग्रहण करने को आने वाली छात्राओं से पढ़ाई के बदले स्कूल में मिड डे मील के बर्तन धुलवाए जा रहे हैं। मामला विकास खण्ड छाता के पूर्व माध्यमिक विद्यालय गुहेता दस विसा का है। बुधवार को लंच के बाद जब स्कूली छात्राएं स्कूल में बर्तन साफ करते नजर आईं तो उनसे पूछा गया कि वो यहां पढ़ने आती हैं या बर्तन धोने तो उन्होंने कहा कि आते तो पढ़ाई करने हैं लेकिन उनकी टीचर उनसे बर्तन धोने के लिए बोलती हैं इसलिए वे बर्तन साफ कर रही हैं। छात्राओं ने बताया कि रेनू नाम की टीचर ने उनसे बर्तन धोने के लिए बोला था। छात्राओं ने कहा कि मिड डे मील के बर्तनों को भी हमसे ही धुलवाया जाता है।
अधिकारियों को भी सब मालूम है
इस संबंध में जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक घनश्याम बिधूड़ी से बात की गई तो उन्होंने भी स्पष्ट कह दिया कि जब मिड डे मील बच्चे खायेंगे तो बर्तन कौन धोएगा। छात्राओं से बर्तन धुलवाने पर उन्होंने कहा कि बर्तन साफ करने के लिए यहां कोई चतुर्थश्रेणी कर्मचारी नहीं है और न ही कोई दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को भी सब मालूम है।
Published on:
11 Jul 2018 06:47 pm
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