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कौन थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह, जिनके नाम पर बनेगी अलीगढ़ में यूनिवर्सिटी

locationमथुराPublished: Sep 13, 2021 05:59:09 pm

Submitted by:

Nitish Pandey

प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर देव प्रकाश बताते हैं कि जिस बिल्डिंग में यह महाविद्यालय है, वह राजा का महल हुआ करता था।

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मथुरा. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अलीगढ़ जिले के लोधा में जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय बना रही है। 14 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वविद्यालय और डिफेंस कॉरिडोर का शिलान्यास करेंगे। आखिर कौन थे जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह जिनके नाम पर यूपी सरकार राज्य विश्वविद्यालय बना रही है और शिलान्यास करने देश के प्रधानमंत्री मोदी आ रहे हैं?
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उस जमाने में की थी बीए तक की पढ़ाई

एक दिसंबर 1886 में मुरसान के राजा घनश्याम सिंह के घर तीसरा बेटा पैदा हुआ। उस बच्चे का नाम रखा गया महेंद्र प्रताप। उस वक्त हाथरस के राजा थे हरनारायण सिंह, उनका कोई बेटा नहीं था। तब राजा ने महेंद्र प्रताप को गोद लिया। राजा हरनारायण ने महेंद्र प्रताप को अच्छी शिक्षा दिलाई। राजा महेंद्र प्रताप ने बीए तक पढ़ाई की थी।
राजा की शादी के लिए चलाई गई थी दो ट्रेने

बताया जाता है कि राजा महेंद्र प्रताप बीए की फाइनल परीक्षा नहीं दे सके थे। दरअसल वो उस वक्त करीब 16 साल के थे और कॉलेज चल ही रहा था, तभी राजा हरनारायण सिंह ने उनकी शादी जिंद रियासत की बलवीर कौर से करा दिया। बताया जाता है कि राजा महेंद्र प्रताप की बारात संगरूर जानी थी। सिर्फ इस शादी के लिए हाथरस से संगरूर के बीच दो स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी।
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1909 में रखी थी तकनीकी संस्थान की नींव

जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ में सर सैयद खां द्वारा स्थापित स्कूल में बीए तक शिक्षा ली। इसके बाद वो करीब 18 देशों की यात्रा करने के बाद वृंदावन के केसी घाट स्थित अपने महल में 1909 में प्रेम महाविद्यालय तकनीकी संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान एशिया का पहला और विश्व का दूसरा टेक्निकल कॉलेज था। यहां शिक्षा के साथ ही लोहे की ढलाई, बढ़ई गिरी, सिलाई, इंजीनियरिंग, मूर्तिकला, गलीचा बुनाई आदि की निशुल्क शिक्षा दी जाने लगी।
शिक्षा का अलख जगा रहा है प्रेम महाविद्यालय

सन 1942 में पॉलिटेक्निक कॉलेज मथुरा रोड पर स्थापित हो गया। प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज आज भी छात्रों की जीवन में शिक्षा का अलख जगा रहा है। 1909 में बने प्रेम महाविद्यालय में वर्तमान में इंटरमीडिएट तक पढ़ाई होती है। हालांकि वर्तमान में इस कॉलेज की बिल्डिंग की हालत खास ठीक नहीं हैं, लेकिन राजा साहब द्वारा स्थापित इस विद्यालय में आज भी सैंकड़ों छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
जीर्ण-शीर्ण हालात में है राजा महेंद्र का कमरा

वृंदावन का केसी घाट आज भी मुरसान रियासत के राजा आर्यन पेशवा के नाम से मशहूर राजा महेंद्र प्रताप सिंह की यादों को संजोए हुए है। अपने पुत्र के रूप में प्रेम महाविद्यालय की स्थापना करने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह का समाधिस्थल भी इसी कॉलेज के सामने स्थित है। देश की आजादी के बाद राजा महेंद्र प्रताप ज्यादातर वृंदावन में ही रहते थे। 29 अप्रैल 1979 को राजा महेंद्र प्रताप का देहांत हो गया। केसी घाट स्थित प्रेम महाविद्यालय में ऊपरी मंजिल पर राजा महेंद्र प्रताप का एक लंबा-चौड़ा कमरा भी है। जिसमें वे यहां रहा करते थे, लेकिन आज यह कमरा भी जीर्ण-शीर्ण हालात में है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी को दी मात

भाजपा के सबसे बड़े नेताओं में शामिल पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ 1957 के लोकसभा चुनाव में मथुरा सीट पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरकर उन्हें मात दी थी।
जर्जर अवस्था में है बिल्डिंग

प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर देव प्रकाश बताते हैं कि जिस बिल्डिंग में यह महाविद्यालय है, वह राजा का महल हुआ करता था। विद्यालय बनने के बाद राजा महेंद्र प्रताप ऊपर की मंजिल पर स्थित एक लंबे चौड़े कमरे में रहा करते थे। वर्तमान में बिल्डिंग जर्जर अवस्था में है। उन्होंने बताया कि विद्यालय की छतें टूट-टूट कर झड़ रही हैं और कई बार तो गंभीर हादसा होते-होते टला है।
वर्तमान में 135 छात्र कर रहे हैं शिक्षा ग्रहण

उन्होंने बताया कि 1994 से आय का कोई श्रोत नहीं होने के चलते विद्यालय का बिजली कनेक्शन भी कटा हुआ है। वर्तमान में उन्होंने अपने नाम से यहां निजी विद्युत कनेक्शन ले रखा है। उन्होंने बताया कि राजा महेंद्र प्रताप द्वारा स्थापित इस विद्यालय में डॉक्टर संपूर्णानंद और आचार्य गिडवानी जैसे विद्वान लोग प्राचार्य रह चुके हैं। वर्तमान में यहां 4 लेक्चरर, 6 सहायक अध्यापक, 1 प्रधान लिपिक और 1 स्वीपर काम कर रहे हैं, जबकि 4 चतुर्थ श्रेणी पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। वर्तमान में इस विद्यालय में कुल 135 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
राजा के बेटे प्रेम के नाम पर रखा गया कॉलेज का नाम

राजा महेंद्र प्रताप के ड्राइवर रहे करीब 78 वर्षीय गोविंद बताते हैं कि राजा साहब का मानना था कि बुराई का अंत भलाई से करो। गोविंद राजा महेंद्र द्वारा स्थापित विद्यालय में पढ़े और फिर उन्हीं की गाड़ी पर ड्राइविंग सीख उनके साथ रहे। गोविंद बताते हैं कि विद्यालय के आस-पास राजा साहब की करीब 12 बीघा जमीन है, लेकिन वर्तमान में अधिकांश जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जे जमाये हुए है। उन्होंने बताया कि विद्यालय की स्थापना के बाद राजा साहब को एक बेटा हुआ उसका नाम भी उन्होंने प्रेम प्रताप रखा। उन्होंने बताया कि राजा साहब के पास कई गाड़ियां थीं जो आज भी पीएमवी पॉलिटेक्निक कॉलेज में रखी हुई हैं।
देश की स्वतंत्रता में शामिल हो गए थे राजा

प्रेम महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉक्टर देव प्रकाश ने बताया कि 20 अगस्त 1914 में राजा महेंद्र प्रताप सब कुछ छोड़कर देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में शामिल हो गए। फ्रांस, जिनेवा, रोम व स्विट्जरलैंड में संपर्क करते हुए जर्मनी पहुंचे और वहां वर्लिन समिति के लाला हरदयाल को साथ लेकर जर्मन सम्राट विलियम कैसर के साथ इंडो जर्मन मिशन का गठन करके 50 हजार सैनिक और अर्थ का समझौता हुआ। क्रांतिकारियों और सैनिकों के साथ वियना, मिश्र, बुखारेस्ट, सोफिया, तुर्की, ईराक आदि शासकों से समझौता करते हुए 1915 में अफगानिस्तान पहुंचे।
जाट राजा महेंद्र प्रताप ने अफगानिस्तान में बनाई थी भारत की अंतरिम सरकार

1 दिसम्बर 1915 को अफगानिस्तान में अस्थाई हिंद सरकार का गठन किया। जिसके राष्ट्रपति राजा महेंद्र प्रताप और प्रधानमंत्री मोहम्मद बरकतुल्ला खां बने। अस्थाई हिन्द सरकार ने अपने सैनिकों तथा जर्मन और अफगानिस्तान के सैनिकों के साथ मिलकर भारत की अंग्रेजी हुकूमत पर आक्रमण कर दिया, लेकिन अंग्रेजों ने कूटनीति से अफगानिस्तान से संधि कर युद्ध को बंद करा दिया।
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