मऊ जिले के दोहरीघाट स्थित मुक्तिधाम श्मशान घाट पर एक अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई है। यहां अंतिम संस्कार की परंपरागत व्यवस्था को निभाने वाले डोमराजा परिवार के वंशजों ने शवों को अग्नि देने से साफ मना कर दिया है, जिससे आम जनता को गहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
स्थिति इतनी विकट हो गई है कि अब लोग अपने परिजनों की चिता स्वयं सजाने और दाह-संस्कार करने को मजबूर हैं। यह न सिर्फ हिंदू धार्मिक परंपराओं का अपमान है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों का भी खुला उल्लंघन है, जिसमें मृत्यु के बाद भी सम्मानजनक विदाई का अधिकार सुनिश्चित किया गया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस समस्या के पीछे मुक्तिधाम की देखरेख कर रही रजिस्टर्ड संस्था का अड़ियल रवैया जिम्मेदार है। घाट पर उबड़-खाबड़, गड्ढे युक्त जमीन की मरम्मत न कराना, शवदाह कार्य में लगे लोगों से जबरन आर्थिक हिस्सा मांगना और उन पर अनुचित दबाव बनाना इस विवाद की मुख्य वजहें हैं।
जनमानस की आस्था और परंपराओं से जुड़ी इस गंभीर समस्या पर प्रशासनिक चुप्पी चिंता का विषय बन चुकी है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आक्रोश बड़ा जन आंदोलन बन सकता है।
Published on:
18 Jun 2025 04:38 pm