12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पानीपत से आए 14 मजदूरों ने घर जाने के लिए सीएम योगी से लगाई गुहार, ऐसे गुजार रहे अपना समय

Highlights पानीपत से अपने घर कौशांबी के लिए निकले हैं ये मजदूर मेरठ पुलिस आए इन मजदूरों को खिला रही है खाना घर पहुंचने के लिए पैसा भी नहीं बचा इन मजदूरों के पास  

2 min read
Google source verification
meerut

मेरठ। लॉकडाउन में सबसे अधिक आफत गरीब और उन लोगों पर टूटी है जो कि दूसरे प्रदेश में फंसे हुए हैं। इनमें सर्वाधिक मजदूर वर्ग के लोग हैं। लॉकडाउन को 40 दिन होने को आ रहे हैं। हालात यह हैं कि अब इन मजदूरों के पास खाने को खाना नहीं है और जेब में पैसा भी खत्म हो गया है। मुख्यमंत्री योगी के बयान से इन मजदूरों में कुछ आस जागी जिसमें उन्होंने कहा कि जो भी मजदूर जहां पर फंसे हैं उनको उनके घर पहुंचाया जाएगा।

यह भी पढ़ेंः Meerut: 10 नए केस मिलने से कोरोना पॉजिटिव मरीज हुए 115, फल व्यापारी की दिल्ली के अस्पताल में मौत

इसी उम्मीद में पानीपत से मेरठ रोडवेज बस स्टैंड पहुंचा 14 मजदूरों का जत्था अब रोडवेज और डीएम के कार्यालय के बीच फुटबाल बन गए हैं। हालात यह हैं कि इन मजदूरों को न तो प्रशासन खाना दे रहा है और न इनके घर भेजने की कोई व्यवस्था कर रहा है। इनका पेट भरने के लिए मेरठ पुलिस आगे आई और इनको खाना खिलाया। भूखे-प्यासे ये मजदूर मेरठ के बेगमपुल पर खुले आसमान के नीचे रात काट रहे हैं, वे भी इस आस में कि कोई तो उनकी भी सुनेगा और उनको उनके जिले कौशांबी पहुंचाएगा। मजदूर रामबाबू ने बताया कि उनके पास अब एक भी पैसा नहीं बचा है। वे रोडवेज बस स्टैंड जाते हैं तो उनसे कहा जाता है कि योगी जी की अनुमति दिखाइए। डीएम के यहां जाते हैं तो वहां से भगा दिया जाता है। आखिर हम जाएं तो जाए कहां।

यह भी पढ़ेंः तेरहवीं पर आया दिल्ली पुलिस का सिपाही मिला था संक्रमित, अब इस खबर ने सबको कर दिया खुश

उन्होंने बताया कि वे दो दिन से मेरठ में पड़े हुए हैं। उन्होंने प्रदेश के सीएम से गुहार लगाई कि उनको बस किसी तरह से उनके देश पहुंचा दिया जाए। और उन्हें कुछ नहीं चाहिए। पानीपत से कोैशाबी के लिए चले ये मजदूर मेरठ के बेगमपुल पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सड़क पर ही बैठे हुए हैं। वहीं खाने का इंतजाम इनके लिए थाना सदर बाजार पुलिस कर रही है। इन मजदूरों का कहना है कि जब तक उनके घर जाने का इंतजाम नहीं हो जाता, वे यहीं पर ऐसे ही बैठे रहेंगे। इस बारे में जब डीएम अनिल ढींगरा से बात की गई तो उनका फोन नहीं उठा।