
मेरठ। 70 साल बाद इस बार पितृपक्ष 15 के स्थान पर 17 दिन के होंगे। इससे पहले वर्ष 1951 सितंबर में पित्रपक्ष 18 दिन के हुए थे। इस वर्ष पितृपक्ष 20 सितंबर दिन सोमवार से भाद्र पूर्णिमा अश्विन मास कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि को उस समय प्रारंभ हो रहे हैं, जिस समय पंचक लगे हुए होंगे तथा पड़वा की उत्तराभाद्र नक्षत्र में सिद्ध योग व गंड योग चल रहा होगा।
पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि ऐसा योग वर्ष 1951 को लगा था। उस दौरान भी इस बार पितृपक्ष 15 दिन के स्थान पर 17 दिन है। पूर्णिमा का श्राद्ध 20 सितंबर सोमवती पूर्णिमा को है। इस प्रकार बढे हुए दिनों का यह पित्र पक्ष अपने अपने पितरों को प्रसन्न व संतुष्ट करने का बड़ा अवसर तो है ही अनिवार्य कर्म भी है। इसलिए जो लोग पित्र पक्ष की अवहेलना करते हैं और अपने पितरों को श्रद्धा पूर्वक याद और नमन नहीं करते हैं वह एहसान फरामोश की भांति काल कुचक्र में फंस सकते हैं। ध्यान रहे देवता तो सभी के होते हैं उन्हें कोई भी पूज सकता है। लेकिन आपके पितर को केवल आप ही पूजित कर सकते हैं और कोई अन्य नहीं क्योंकि अपने पूर्वजों के गुणसूत्र वाले जेनेटिक कोड केवल आप में ही होते हैं। अतः इस पितृपक्ष में विशेष रुप से आभार करें अर्पित अपने पितरों को ताकि पित्रगण हमें हमारी भावना से तृप्त होकर तथा हमारे परिवार को तथा पूरे समाज के कल्याण का वरदान देकर अपने पितृलोक में प्रस्थान कर सकें।
उन्होंने बताया कि पित्रपक्ष में श्राद्ध पूजा सम्पन्न करवाई जाती है। पूजा से पहले निर्धारित समय पर पंडित के माध्यम से संपर्क कर संकल्प लें। धार्मिक कथाओं के अनुसार गया में श्राद्ध पूजा के लिए श्रेष्ठ भूमि है। मान्यता है गया मे किए गयी श्राद्ध पूजा विशेष फलदायक होती है । उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम पितरो की मुक्ति के लिए तर्पण किया जाए और उनको भोग लगाया जाए।
Updated on:
19 Sept 2021 09:02 pm
Published on:
19 Sept 2021 09:01 pm
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