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दिवाली के पटाखों से इतनी जहरीली हो गई हवा कि सांस लेना भी हो गया दूभर

Highlights वेस्ट यूपी, दिल्ली-एनसीआर में पटाखों से बढ़ गया वायु प्रदूषण गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ समेत कई शहरों का एक्यूआई चरम पर चिकित्सकों ने वायु प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को दी सलाह  

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सांस लेने लायक नहीं बची यहां की आबोहव

मेरठ। दिवाली पर पटाखों के धुएं ने वेस्ट यूपी, दिल्ली-एनसीआर में लोगों का सांस लेना दूभर कर दिया है। दिवाली से लगातार लोगों को सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है। वायु की गुणवत्ता खराब होने के कारण यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स चरम पर पहुंच गया है। गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ समेत कई शहरों में जबरदस्त वायु प्रदूषण है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा तेज चलने से इसमें कमी आ सकती है। चिकित्सकों ने वायु प्रदूषण से बचने के लिए बचाव की सलाह दी है।

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वायु प्रदूषण के लिहाज से 28 अक्टूबर का दिन सबसे खराब रहा। हालांकि दिवाली पर इस बार पिछली बार के मुकाबले कम पटाखे चलाए गए, लेकिन इसके बावजूद पटाखों, वाहनों और पराली के धुएं के कारण लोगों को सांस लेना दूभर हो गया। पीएम 2.5 का स्तर मानक से पांच गुना ज्यादा रहा। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मध्यरात्रि में रिकार्ड किया गया।

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दिवाली से पहले वेस्ट यूपी, दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई जहां 300 से कम चल रहा था, वहीं दिवाली के बाद यह चरम पर पहुंच गया है। गाजियाबाद का एक्यूआई 396, नोएडा का 397 ग्रेटर नोएडा का 375, गुरुग्राम का 372, मुरादाबाद का 398 व मेरठ का एक्यूआई 352 रहा। इसके कारण दमा, सांस और टीबी के मरीजों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया। सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर का कहना है कि पटाखों से निकलने वाले सल्फरयुक्त रसायन अस्थमा के मरीजों में अटैक का कारण बनते हैं। सांस की नलियों में सूजन करते है। फेफड़ों में ऑक्सीजन रोकने की क्षमता घटती है। सांस के मरीज मास्क लगाकर ही घर से निकलें।

अस्थमा के मरीज ख्याल रखें

- अस्थमा व एलर्जी के मरीजों को बाहर न निकलने दें।

- बच्चों को भी वायु प्रदूषण से दूर रखें, बाहर न जाने दें।

- ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें, यह प्रदूषणनाशक है।

- सांस व दमा के मरीज मास्क लगाकर ही बाहर निकलें।

- घरों की खिड़कियों को दो-तीन दिनों तक बिल्कुल न खोलें।

- आंख में खुजली व जलन होने पर ठंडे पानी से धोएं।

- दूध के साथ हल्दी लें, मीठे में गुड़ का इस्तेमाल करें।