
मेरठ। महानगर की आबोहवा प्रदूषित होने लगी है। उड़ती धूल और वाहनों के प्रदूषण ने जिले का एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 तक पहुंचा दिया है। प्रतिदिन एक्यूआई में इजाफा हो रहा है। जिसका असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय मानकों के अनुसार एक्यूआइ का यह स्तर लोगों के लिए काफी नुकसानदेह है। वहीं कोरोना संक्रमण इस प्रदूषण में और अधिक भयावह हो सकता है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए तो यहीं लगता है कि एनजीटी और प्रदूषण विभाग के आदेश ताक पर ही रख दिए गए हैं।
एक अक्टूबर से ही अधिकतम तापमान में काफी कमी आई है। लेकिन हवा की गति बेहद कम होने और वातावरण में नमी के चलते प्रदूषण ने चारों ओर धुंध की स्थिति पैदा कर दी हैं। बीते वर्ष भी प्रदूषण की स्थिति अक्टूबर में खतरनाक स्तर तक पहुंच गई थी। चूंकि इस बार कोरोना महामारी से वैसे ही लोग जूझ रहे हैं ऐसे में बढ़ता प्रदूषण कोरोना समस्या को और भी बढ़ा सकता है। पर्यावरण वैज्ञानिक नवीन प्रधान ने बताया कि बुधवार को पीएम 2.5 का स्तर शास्त्रीनगर में 179 रिकॉर्ड हुआ। वहीं बेगमपुल पर 186 दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि प्रदूषण का यह स्तर वातावरण मेें नमी के चलते बना हुआ है। वातावरण में नमी के कारण प्रदूषण के कण वातावरण में चिपके हुए हैं। तेज हवा चलने पर ये उड़ जाएंगे लेकिन अभी तेज हवा नहीं चल रही है। जिसके कारण प्रदूषण का स्तर बढता जा रहा है। एनजीटी ने निर्माण इकाइयों को पैन टिल्ट जूम (पीटीजेड) कैमरा लगाने के निर्देश दिए हैं। जिससे इस बात का पता चल सके कि निर्माण स्थलों पर धूल तो नहीं उड़ रही है। इकाइयों द्वारा इसके लिए प्रबंध किए गए हैं अथवा नहीं।
ये है पश्चिम में प्रदूषण की स्थिति
मेरठ ही नहीं पश्चिम उप्र में भी प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा है। सीपीसीबी द्वारा बुधवार को जारी बुलेटिन के अनुसार मुजफ्फरनगर सूबे का सबसे प्रदूषित शहर रहा। जहां एक्यूआइ 282 रिकॉर्ड किया गया। यह देश में दूसरे स्थान पर रहा। वहीं मुरादाबाद 286, मेरठ 300,ग्रेटर नोएडा 257, गाजियाबाद व बुलंदशहर 256, बागपत 252, नोएडा में एक्यूआइ 207 रहा। साफ है कि बीते सालों की तरह इस बार भी पश्चिम उप्र के शहर प्रदूषण की गिरफ्त में आ चुके हैं।
Updated on:
08 Oct 2020 10:55 am
Published on:
08 Oct 2020 10:47 am
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