
महाभारत के समय इतनी होती थी योद्धाओं की लंबाई!
बागपत। जिले के इतिहास ने एक बार फिर विदेशी धारणा को पलट दिया है। महाभारत को झुठलाने वाले विदेशी इतिहासकार बागपत के उत्खनन को लेकर अचंभित हैं। खुदाई से जो सामान निकला है, उसके आधार पर एक बार फिर महाभारत का इतिहास लिखने की जरूरत महसूस होने लगी है। इतिहासकार मानने लगे हैं कि महाभारत का इतिहास बागपत से होकर गुजरता है। इससे भारत के इतिहास को नये पंख लगने लगे हैं।
बागपत की धरती से जुड़ा है महाभारत का इतिहास
बागपत ने एक बार फिर महाभारत के इतिहास को लिखने पर मजबूर कर दिया है। बागपत के सिनौली में निकली तलवारें, मुकुट, तांबा जडि़त ताबूत, रथ और योद्धाओं के कंकालों ने इतिहासकारों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब इतिहासकार मानने लगे हैं कि महाभारत का इतिहास बागपत की धरती से जुड़ा है। यहां पर मिले कंकाल बताते हैं कि वे योद्धाओं के थे। इतिहास उन्हें करीब पांच हजार साल पुराना बता रहे हैं। इतिहासकारों के अनुसार, वह महाभारत काल था।
तांबे की तलवारें चलाने में माहिर थे ये
शहजाद राय शोध संस्थान के डायरेक्टर अमित राय जैन बताते हैं कि वैसे तो सिनौली में मिले कंकाल और आज के मानव कंकालों में ज्यादा अंतर नहीं है। उनका आकार और उनकी मजबूती को देखें तो अहसास होता है कि वह किसी योद्धा का कंकाल रहा होगा। अक्सर देखने में आता है कि आदमी की औसत लंबाई छह फुट तक होती है। खुदाई में मिले कंकालों की लंबाई भी छह से सात फीट के बीच ही है। इससे प्रतीत होता है कि ये योद्धा थे, जो तांबे की भारी तलवारें चलाने में माहिर थे और उनमें काफी बल था।
फिलहाल रुकी है खुदाई
जिस प्रकार महाभारत के इतिहास में योद्धाओं के पराक्रम की गाथा सुनाई जाती हैं, उसी प्रकार का अहसास सिनौली में निकले ये कंकाल कराते हैं। हालांकि, अभी और भी बहुत कुछ इस धरती में दफन है, जिसका बाहर आना जरूरी है। फिलहाल यहां खुदाई रोक दी गई है।
Published on:
21 Jun 2018 11:25 am
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
