
मेरठ। बंगाल की रहने वाली 25 वर्षीय अहाना की मेडिकल कालेज अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। लॉकडाउन के कारण उसकी अर्थी को परिजनों का कंधा भी नसीब नहीं हो पा रहा है। मेडिकल कालेज प्रशासन ने शव किसी अन्य को देने से इनकार कर दिया है। बंगाल में मौजूद परिजन अहाना की मौत पर आंसू बहा रहे हैं। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अहाना का शव उसके परिजनों तक कैसे पहुंचे।
बागपत जिले के खेकड़ा कस्बे की एक फैक्टरी में काम करने वाली अहाना की शनिवार को मेडिकल कॉलेज मेरठ में मृत्यु हो गई। वह मूल रूप से बंगाल की रहने वाली थी। ऐसे में लॉकडाउन के कारण उसके परिजन यहां आ नहीं सकते हैं। परिजनों से बात हुई तो उन्होंने बताया कि वे करीब 1500 किमी दूर हैं। परिजनों का फोन पर ही रो-रोकर बुरा हाल था। वे इस परेशानी में हैं कि अहाना का शव बंगाल में उनके घर तक कैसे पहुंचेगा। उसकी कोरोना की जांच कराई गई। रिपोर्ट निगेटिव है। इसके बावजूद तमाम तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ रहा है।
दरअसल, अब तय कर दिया गया है कि जो भी व्यक्ति गंभीर रूप से अस्पताल में आएगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी तो उसका शव उसके परिजनों को तभी दिया जाएगा जब उसकी कोरोना की जांच हो जाएगी। कोरोना की जांच नेगेटिव आने के बावजूद अगर मामला किसी दूसरे प्रदेश से जुड़ा है तो शव को वहां तक ले जाने में परेशानी होती है। ऐसे में फैक्टरी वाले ही प्रक्रिया पूरी कर शव को बंगाल पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं फैक्टरी वालों का कहना है कि वे बिना प्रशासन की मदद के कुछ नहीं कर सकते। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता ने बताया कि शव परिजनों को ही सौंपा जाएगा। इस संबंध में अगर प्रशासन चाहे तो परिजनों की मदद कर सकता है। इसके लिए उनको संबंधित जिला प्रशासन से ही संपर्क करना होगा।
Published on:
26 Apr 2020 06:48 pm
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