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दशकों से चल रहा था कापी बदलने का खेल, एक लाख में बन जाते थे मुन्नाभाई एमबीबीएस

एसटीएफ मेरठ की पूछताछ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के पकड़े कर्मचारियों ने खोले कर्इ राज, बड़ा खिलाड़ी बाहर

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मेरठ।चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में कापी बदलने का खेल दशकों पुराना है। एमबीबीएस की कापी बदलने के खेल में एसटीएफ के हाथ लगा कविराज इस खेल का पुराना खिलाड़ी है। उसके संपर्क चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में काफी गहरे हैं। उसकी पहुंच उन विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर तक हैं जो छात्र की कापी खुद ही अपने घर पर लिख देते हैं और उसकी एवज में 10 हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक लेते थे।

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बड़े कोर्स में होता था बड़ा खेल

कापी बदलने का खेल बड़े कोर्स में होता था। मसलन, एमबीबीएस, एमडी, एमएस, बीफार्मा, एमफार्मा जैसे कोर्स में ही इस गैंग के सदस्य कापी बदलने का कार्य करता था। जिन कालेजों के छात्रों की कापी बदली जाती थी, उन कालेजों में राजकीय मेडिकल कालेज सहारनपुर, रामा मेडिकल कालेज पिलखुवा, सरस्वती मेडिकल कालेज हापुड़, मेरठ मेडिकल कालेज, मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज बेगराजपुर के अलावा चौधरी चरण सिंह विवि से संबद्ध डेंटल कालेजों के छात्रों की भी कापियां बदलने का काम ये गैंग करता था। पूछताछ में कविराज ने बताया कि उत्तर पुस्तिका बदलने का काम वे लोग दस साल से कर रहे हैं। उससे पहले जो लोग इस काम को करते थे, वह उनके संपर्क में आया था और तब से ही इस काम में लगा हुआ था। उसने बताया कि प्रतिवर्ष करीब सौ से दो सौ तक कापियां बदलने का काम उसका गैंग करता था।

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एक लाख लेकर ऐसे बदलते थे पुस्तिका

गैंग एक विषय की कापी बदलने के एवज में 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक वसूलता था। खाली कापी उपलब्ध कराने वाले को गैंग की तरफ से दस हजार रुपये एक कापी के दिए जाते थे। एक्स्ट्रा कापी लेने पर उसका अलग से रुपया दिया जाता था। पकड़े गए कर्मचारी पवन और अस्थायी कर्मचारी संदीप को इस काम में सीसीएसयू का आफिस सुपरिटेंडेट चंद्रप्रकाश मदद करता था। चंद्र प्रकाश रिटायर हो चुका है और इसके बाद भी विवि में जमा हुआ है। उत्तर पुस्तिका को विवि के मुख्य बंडल में रखकर उसे परीक्षा की कापी बना दिया जाता था। परीक्षा कक्ष में मिली उत्तर पुस्तिका को छात्र के परीक्षा देने के बाद जहां पर परीक्षा उत्तर पुस्तिका जमा की जाती थी। वहां से निकाल लिया जाता था। उसके बाद नई उत्तरपुस्तिका लिखकर दोनों पुस्तिका का ऊपर का मुख्य कवर बदल दिया जाता था। पुरानी वाली पुस्तिका जला दी जाती थी।

हजार से अधिक एमबीबीएस चिकित्सक

चौधरी चरण सिंह विवि में हुए कापी बदलने के खेल में अब तक करीब एक हजार से अधिक चिकित्सक एमबीबीएस पास कर चुके हैं। इनमें सर्वाधिक मेरठ मेडिकल कालेज के छात्र हैं इसके अलावा दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के छात्र हैं।

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