
मेरठ। जनपद में छठ पूजा पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान लोगों ने डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया। श्रद्धालु शनिवार को षष्ठी की शाम सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं। अब रविवार की सुबह सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन किया जाएगा। छठ पर्व के दौरान घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए हैं। छठ पूजा से जुड़े भोजपुरी गीत घाटों पर सुनाई दे रहे हैं। इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे को मैसेज के माध्यम से भी छठ की बधाइयां दी। रामताल वाटिका और गगोल तीर्थ में छठ की पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इसके साथ ही श्रद्धालुओं ने घाट के किनारे बैठकर छठ पर्व की पौराणिक कथा भी सुनी। बता दें कि छठ पर्व बीते 31 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ था। इसके बाद एक नवंबर को खरना, दो नवंबर को शाम का अघ्र्य और सुबह रविवार को सुबह का अर्घ्य देने के साथ ही सम्पन्न होगा।
रामताल वाटिका में छठ पूजन करने आई अंजु कुशवाहा ने कहा कि षष्ठी देवी से जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पूजा करता है, उन्हें सौभाग्य प्रदान करती है। पंडित जनार्दन तिवारी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की जाती है। इस पूजा से देवी खुश होकर आशीर्वाद देती हैं। उन्होंने बताया कि यह सूर्य की उपासना से जुड़ा हुआ पर्व है। यह सूर्य का दिव्य व्रत है। यह तीन दिवसीय पर्व है। उन्होंने कहा कि इस पर्व की पूरे विश्व में मान्यता है। जो लोग सूर्य को जागृत करना चाहते हैं, वे इस व्रत को मनाते हैं। आज महानगर के रामताल वाटिका और गगोल तीर्थ पर देर रात तक चहल-पहल बनी रही।
Published on:
02 Nov 2019 09:39 pm
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