
Lok Sabha Elections 2024 उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों के नए गठबंधन की आहट याद करिए...2018 में कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार के शपथ समारोह में उत्तर प्रदेश से पूर्व सीएम मायावती, अखिलेश यादव एवं छोटे चौधरी अजित सिंह जैसे दिग्गज मंच पर नजर आए थे। इस बार सिर्फ जयन्त चौधरी ही कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। राजनीतिक पंडित इसके निहितार्थ निकालने में जुट गए हैं।
निकाय चुनाव में सपा-रालोद में खटास उभरने के बाद यूपी में नए गठबंधन का राजनीतिक मुहूर्त उभरने के कगार पर है। जिसके शिल्पकार जयन्त चौधरी बन सकते हैं। कांग्रेस के प्रति उनका झुकाव यूपी में राजनीतिक के नए गणित फार्मूले का संकेत है। अगर पुराना गठबंधन रहा तो इसमें नए साथियों को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
गठबंधन में चलेगी दबाव की राजनीति
2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। जिसमें भाजपा की जमीन बेहद मजबूद है। प्रदेश के निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की घेरेबंदी के लिए अखिलेश यादव, जयन्त चौधरी एवं चंद्रशेंखर इंदौर में मिले। लेकिन इस गठबंधन के गुब्बारे में हवा भरी गई। जिसमें खींचतान एवं मतभेद की सुई चुभने से हवा निकल गई।
यूपी नगर निकाय चुनाव में दोनों दल ज्यादातर सीटों पर आमने-सामने आ गए। अखिलेश ने अंतिम क्षणों में कहा कि कोई गठबंधन नहीं है। इस पर चौधरी जयन्त ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर साफ संदेश दिया। भले ही चौधरी जयन्त कह रहे हैं कि सपा से गठबंधन बना रहेगा लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति बड़ी करवट ले रही है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों के एकमुश्त कांग्रेस में जाने एवं निकाय चुनाव में कई सीटों पर सपा से दूरी बरतने से नया समीकरण बन रहा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में दलित, मुस्लिम एवं ब्राहमण के पुराने फार्मूले पर नए सिरे से खेल सकती है। जिसका सूबे में बड़ा प्रभाव है।
उधर, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव तक गठबंधन को लेकर राजनीतिक मोलभाव चलता रहेगा। जिसके बाद ही तस्वीर साफ होगी। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को हराने के लक्ष्य के साथ गठबंधन नई मजबूती के साथ चुनाव में उतरेगा।
Published on:
02 Jun 2023 08:54 am
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