
मेरठ। 10 मई 1857 मेरठ का एतिहासिक सेंट जान्स चर्च, जिसमें सुबह प्रार्थना होकर चर्च का मुख्य गेट बंद कर दिया था। अंग्रेज अफसर चर्च में प्रार्थना कर अपने घरों को जा चुके थे। अंग्रेज सैनिक अपनी बैरक में आराम कर रहे थे। रविवार होने के कारण काम कुछ अधिक नहीं था। अंग्रेज अधिकारी भी अपने बंगले में आराम कर रहे थे। गर्मी होने के कारण आमतौर पर पूरी सड़क सुनसान थी। शाम को सेंट जाॅन्स चर्च का घंटा बजते ही लोग सड़क पर एकत्र हो गये। उसी दौरान मेरठ का सदर बाजार जहां से अंग्रेज अफसर आैर उनके परिवार के लोग सामान आदि खरीदते थे। वहां पर 'मारो फिरंगी को' नारे गूंजने लगे। फिर क्या था चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।
देशभक्तों ने घेर लिया था चर्च
इतिहासकारों के अनुसार 10 मई 1857 की शाम को जैसे ही चर्च का घंटा बजा उसके कुछ देर बाद ही चर्च को चारों ओर से भारतीय फौज के विद्रोही सिपाहियों ने घेर लिया। इससे वहां पर एकत्र अंग्रेज अफसरों और उनके सैनिकों में खलबली मच गई। इसके बाद हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे के साथ सैनिक अंग्रेज अफसरों और सैनिकों पर टूट पड़े। कुछ अधिकारी चर्च के भीतर घुस गए और कुछ पेड़ के पीछे छिप गए। चर्च से ही कुछ दूरी पर सिमेट्री (कब्रिस्तान) था। अंग्रेज अफसर यहां घुसे तो भारतीय सैनिक उनके पीछे कब्रिस्तान में ही घुस गए। वहां पर भारतीय सैनिकों ने दस अंग्रेज अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया। उन अंग्रेज अफसरों की कब्र आज भी वहां पर मौजूद हैं। इसके बाद देशभक्ति के जुनून में डूबे भारतीय सैनिक वापस चर्च आए तो वहां पर सन्नाटा पसरा हुआ था। भारतीय सैनिकों ने अंग्रेज अफसरों को उनके बंगलों से खींचकर मारना शुरू कर दिया। जो नहीं निकला उसके बंगले में आग लगा दी गई। यह सिलसिला तड़के दूसरे दिन 11 मई 1857 तक चलता रहा।
यह भी पढ़ेंः रेड लाइट एरिया सील करके चला अभियान, यह मिला यहां से
Published on:
09 May 2018 10:06 am
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
