
मेरठ। जमीन के खसरा (khasra) में अब कोई धांधलीबाजी नहीं कर पाएगा। किसानों केा अब खसरे (online khasra) की कॉपी भी डिजिटल मिलेगी। ऐसा सिर्फ किसानों के जमीन के लिए ही नहीं बल्कि सभी प्रकार की जमीन की खसरे की कॉपी डिजिटल (digital khasra) होगी। इसकी तैयारी शुरू की जा चुकी है। इसके लिए राजस्व परिषद ने नियमावली में संशोधन कर भू-लेख खसरा के आरसी प्रपत्र-4 को संशोधित कर नया प्रारुप आरसी प्रपत्र 4-क को जारी किया है। अब इसी फार्मेट के आधार पर खसरा तैयार किया जाएगा। कंप्यूटरीकृत खसरा को शासकीय साफ्टवेयर मेघदूत के अलावा अन्य पीडीएफ फाइल में बकायदा सहेजा जाएगा। जिससे यह सुरक्षित रहे और इसकी मूल कापी कभी नष्ट न हो। इसके अलावा खसरे की पीडीएफ की एक कापी अभिलेखागार में भी सुरक्षित रखी रहेगी।
राजस्व परिषद की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि फसली वर्ष 1428 से पूर्व के खसरा का रखरखाव आरसी प्रपत्र-4 में ही होगा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 जहां लागू है, उन क्षेत्रों में फसली वर्ष 1428 व उसके बाद के खसरा का रखरखाव आरसी प्रपत्र-4क में होगा। इसका स्वरूप पूरी तरह कंप्यूटरीकृत होगा। अधिकारियों की मानें तो खसरा को कंप्यूटरीकृत हो जाने से बहुत हद तक जमीन जायदाद के विवाद कम होंगे। खसरा में बहुतायत छेड़छाड़ कर खतौनी को परिवर्तित करने की शिकायतें रहती हैं। कंप्यूटरीकृत हो जाने के बाद इस तरह के छेड़छाड़ कम होंगे। इसकी मूल वजह यह भी होगा कि यह राजस्व परिषद के साफ्टवेयर में भी मूल रूप से सुरक्षित रहेगा। स्थानीय स्तर पर कोई गड़बड़ी होगी तो तत्काल धरा जाएगा।
खसरा, खतौनी व सजरा की विशेषता
रिटायर्ड एसडीएम एनपी पांडे ने बताया कि खसरा जमीन का कानूनी रिकार्ड या दस्तावेज होता है। खसरा में भू स्वामी का नाम, नम्बर, क्षेत्रफल, चौहद्दी आदि के बारे में विस्तार से जानकारी होती है। इससे जुड़े नक्शे को सजरा नाम दिया गया है। खतौनी में एक तरफ से खाता नम्बर होता है। इसमें किसी व्यक्ति या परिवार के स्वामित्व वाली जमीन की जानकारी होती है। यह भी कह सकते हैं कि खतौनी वास्तव में किसी व्यक्ति के सभी खसरों की जानकारी देने वाला रजिस्टर है। खतौनी खसरा का एक सार रूप है। एक व्यक्ति या परिवार की सभी खसरा को सूचीबद्ध किया गया है। लैंड रेवेन्यू एक्ट तहत कानूनी दस्तावेज है। अभिलेखागार में रखे गए इस प्रकार के दस्तावेज की स्थिति बहुत खराब है। बहुतायत जमीन के दस्तावेज इतने पुराने हो गए हैं कि छूने मात्र से टूट जाते हैं। कुछ तो फाइल से गायब भी हो चुके हैं। खसरा कंप्यूटरीकृत होने से ऐसी बहुत सी समस्या अपने आप ही समाप्त हो जाएगी।
Published on:
16 Jul 2021 11:07 am
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