
शरीयत और दारुल कजा के कामों में टांग न अड़ाएं, तीन तलाक को लेकर कह दी बडी बात,देखे वीडियो
मेरठ। तीन तलाक का मुद्दा बेशक मीडिया की सुर्खियों से गायब हो रहा हो। लेकिन इसको लेकर दारूल कजा गंभीर है। उलमाओं का मानना है कि दारूलकजा संविधान और शरीयत के मुताबिक चल रही है। मेरठ में दारूल कजा की एक बड़ी बैठक आयोजित हुई। जिसमें दूर-दूर से आए उलमाओं ने बातें रखी।
मुजफ्फरनगर के फुलत कस्बे के काजी डा. मुफ्ती आशिक सिद्दीदी ने कहा कि दारूल कजा में आज भी मुस्लिम महिलाओं का विश्वास है। उन्होंने कहा कि अधिकांश मुस्लिम महिलाएं दारूल कजा के संपर्क में रहती है। तलाक से संबंधित महिलाओं का मामला कम समय में निपटा दिया जाता है।
आज सरकार ने और दल विशेष ने दारूल कजा को बदनाम करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि दारूल कजा ने हमेशा मुस्लिम महिलाओं के हितों की ही बात कही है। हापुड रोड स्थित एक बैंकेट हाल में आयाजित बैठक में शरियत दारूल कजा आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने दारूल कजा की रिपोर्ट पेश की। मुफ्ती आशिक सिद्दीकी ने कहा कि दारूल कजा मुसलमानों के मसलों को हल करने वाला एक मजबूत इदारा है। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के करीब तीन करोड़ मुकदमें अदालत में विराचाधीन हैं। जबकि दारूल कजा में मामला लटकाया नहीं जाता उन्हें तुरंत समाप्त कर दिया जाता है। उनका समाधान निकाल दिया जाता है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए मौलाना कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि जो शादीशुदा महिलाएं अपने मसले लेकर दारूल कजा के पास आती हैं, कोशिश की जाती है कि उनकी सुलह हो जाए। मामले में तलाक नहीं हो। लेकिन जब महिलाएं ही तलाक की बात पर अड़ जाए तो ऐसी स्थिति में दारूल कजा क्या कर सकती है। उन्होंने कहा कि वे जागरूकता फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी में बात नहीं बनती तो महिला को खुला कर दिया जाता है कि वह अगर अपने पति से अलग होना चाहती है तो स्वतंत्र है। ऐसी महिलाओं की काउंसलिंग कराई जाती है। अधिकांश मामलों में सुलह हो जाती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुस्लिम समाज के ठेकेदार बन रहे हैं और ये लोग जबरन शरीयत और दारूल कजा के मामले में टांग अड़ाने का काम कर रहे हैं। इस दौरान आल इंडिया मिल्ली काउंसिल एप्र के अध्यक्ष मौलाना गुलजार कासमी, जब्बर खान, कुंवर छोटे खां, चैधरी सरताज, अकील अजराडा एडवोकेट एमआर शमशाद शामिल रहे।
Published on:
05 Feb 2019 03:22 pm
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