
जातिवाद और छुआछूत से परेशान दर्जनभर दलितों ने छोड़ा हिन्दू धर्म
बागपत. जनपद में चार दलित परिवारों के दर्जनभर लोगों ने हिन्दू धर्म का त्याग कर दिया है । धर्म परिवर्तन करने वाले इन दलितों का आरोप है कि दलित होने के चलते उन्हें हीनभावना का शिकार होना पड़ता रहा था और साथ ही छुआछूत का दंश भी झेलना पड़ रहा था। इसके चलते उन्हें हिन्दू धर्म का त्याग करने को मजबूर होना पड़ा। वहीं, दर्जनभर लोगों के धर्म परिवर्तन करने की सूचना के बाद पुलिस विभाग में हड़कम्प मंच गया, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची ओर धर्म परिवर्तन करने की असल वजह तलाशने में जुट गई। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने बताया कि दलितों ने अपनी मर्जी से हिन्दू धर्म का त्याग किया है। उन पर किसी का कोई दबाव नहीं है। हालांकि, पुलिस मामले की जांच की बात कह रही है।
मामला सिंघावली अहीर गांव का है। यहां चार दलित परिवारों ने एक समारोह आयोजित कर बोद्ध धर्म की दीक्षा ली। बोद्ध धर्म से आये महाराज प्रियन्तीस भंते ने सभी परिवारों को बोद्ध धर्म की दीक्षा दिलवाई। हिन्दू धर्म छोड़ बोध धर्म अपनाने वाले लोगों में मुन्ना लाल, बाबू, अजीत, अजय, मोनू, सोनु और परिवार की 6 महिलाएं भी शामिल हैं। धर्म अपनाने वाले दलित युवकों की माने तो वह हिन्दू धर्म मे छुआछूत, ऊंच-नीच की बातो से तंग आ गए थे, क्योकि बड़ी जाती के लोग उनका इस्तेमाल करते थे। जब साम्प्रदायिक झगड़ा होता तो हम हिन्दू होथे थे, वर्ना बड़ी जाती के लोग हमें घृणा की नजर से देखते थे। इन लोगों ने आरोप लगाया कि हमें हर जगह सिर्फ इस्तेमाल करने के लिये रखते थे। धर्म परिवर्तन करने वाले इन दलितों ने कहा कि अब पूजा-पाठ में कोई विश्वाश नहीं रहा। ये सिर्फ ढकोसलेबाजी है। इसलिये हमने बोद्ध धर्म अपनाया है। वहीं, धर्म परिवर्तन की जानकारी मिलते पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया और पुलिस की टीम गांव आ धमकी। इसके बाद धर्म परिवर्तन करने वालों के बयान दर्ज किए। हालांकि, पुलिस ने अपनी प्राथमिक जांच में पाया कि दलितों ने स्वेच्छा से बौद्ध धर्म अपनाया है। पुलिक ने कहा कि फिर जांच की जाएगी, किसी तरीके का दबाव था। हालांकि, अभी कुछ स्पष्ट नही है।
आऱएसएस को झटका
गौरतलब है कि पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में आरएसएस सभी जातियों पर हिन्दुत्व का खुमार चढ़ाकर भाजपा के लिए जमीन तैयार करने में जुटा है। यही वजह है कि हाल ही में मेरठ में हुए आऱएसएस के समागम में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में ठाकुरों और दलितों के बीच हुए दंगे से उपजी खाई को पाटने के लिए संघ ने दलितों और ठाकुरों को एक साथ भोजन कराकर हिन्दुओं में एकता लाने की कोसिश की थी। लेकिन बागपत की इस घटना ने संघ की उम्मीदों और मेहनत पर पानी फेर दिया है।
Published on:
24 Jun 2018 06:57 pm
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
