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Exclusive: कोरोना से मरे लोगों के परिजनों ने बनाई दूरी, मोक्ष के आखिरी सफर का इंतजार कर रही अस्थियां

Highlights: -चिता की आग के महीने भर बाद भी नहीं हुआ अस्थियों का विसर्जन -कोरोना के खौफ के चलते अपनों ने मरते ही अपनों ने फेर लिया मुंह -सात लोगों की अस्थियों को परिजनों का इंतजार

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मेरठ

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Rahul Chauhan

Jun 25, 2020

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केपी त्रिपाठी

मेरठ। कहते हैं कि चिता पर लेटने के बाद इंसान का वो सफर शुरू होता है जो कि उसे मोक्ष तक ले जाता है। चिता को अग्नि देने के बाद मृतक की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर मृत व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। लेकिन इस कोरोना काल में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनकी मौत तो कोरोना की वजह से हो गई लेकिन उनकी अस्थियां आज भी गंगा में प्रवाहित होने का इंतजार कर रही हैं। एक नहीं, दो नहीं, बल्कि 7 ऐसे ही मृतकों की अस्थियों के कलश मेरठ के श्मशान घाट के कमरे में रखे हैं। जिनकी मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई। लेकिन चिता की आग में जलने के बाद भी उनको मोक्ष की प्राप्ति अभी तक नहीं हो पाई है क्योंकि उनके अपने उनके पास नहीं पहुंच सके।

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न तो लेने पहुंचे अस्थियां और न किया कोई संपर्क :—

मेरठ के सूरजकुंड क्षेत्र में स्थित श्मशान घाट हैं। जहां पर मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है। बीते कोरोना काल में यहां कई लोगों का अंतिम संस्कार किया गया जिनमें वो लोग भी शामिल थे जिनकी मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई। कोरोना वायरस की वजह से मरने वाले ये लोग अलग-अलग जिले और अलग-अलग राज्यों के रहने वाले थे जहां से इलाज के लिए ये मृत लोग मेरठ मेडिकल कालिज पहुचे और इलाज के दौरान इन लोगों की मौत हो गई।

कोरोना वायरस ने इन लोगों को मौत की नींद तो सुला दिया लेकिन चिता की आग में जलने के बाद भी इन लोगों की अस्थियां लेने कोई नहीं पहुंचा क्योंकि इन लोगों के संपर्क में आने वाले इनके अपने या तो क्वॉरेंटाइन किए गए हैं या फिर इन लोगों में कोरोना वायरस का खौफ पसरा हुआ है। ऐसे में करीब महीने भर से कोरोना वायरस से मृत इन लोगों की अस्थियां मेरठ के सूरज कुंड स्थित श्मशान घाट के कमरे में कमेटी द्वारा रखवा दी गई है जहां मृतकों के रिश्तेदारों का इंतजार किया जा रहा है कि वो आएं और अपने मृत परिजनों की अस्थियों को ले जाकर गंगा में प्रवाहित कर सकें।

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तीन महीने से कर रहे मृतकों के परिजनों का इंतजार :—

वहीं श्मशान घाट की देखरेख कर रही गंगा मोटर कमेटी के मंत्री का कहना है कि 3 महीने तक मृतकों के परिजनों का इंतजार किया जाएगा ताकि वो आकर मृतकों की अस्थियों को ले जाकर गंगा में प्रवाहित कर सकें और अगर मृतकों के परिजन अस्थियों को लेने नहीं आते तो कमेटी के द्वारा 3 महीने के इंतजार के बाद मृतकों की अस्थियों को गंगा में कमेटी के द्वारा प्रवाहित कर दिया जाएगा।

मृतकों के परिजनों की आंखों में दिख रहा कोरोना का खौफ :—

लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण ने अपनों और परायों की अच्छी तरह से पहचान करा दी है। ऐसी पहचान जिसमें मरने वालों का कीमती समान तो परिजनों को चाहिए, लेकिन जब अस्थियों के विसर्जन की बात आई तो परिजनों ने शमशान घाट से आने वाले फोन ही उठाने बंद कर दिए। जिसका कारण है, कोरोना। संक्रमण के खौफ से परिजनों ने अपने ही लोगों से दूरी बना ली है।