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किसान के बेटे पैरा एथलीट अंकुर धामा को मिला अर्जुन अवार्ड, गांव में खुशी की लहर

locationमेरठPublished: Sep 25, 2018 09:08:44 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

परिवार ने काफी इलाज कराने के बाद उसको दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल में प्रवेश दिला दिया।

ankur get arjun award

किसान के बेटे पैरा एथलीट अंकुर धामा को मिला अर्जुन अवार्ड, गांव में खुशी की लहर

बागपत। जिले के खेकड़ा कस्बा निवासी पैरा एथलीट अंकुर धामा को मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। इससे कस्बे में खुशी का माहौल है। अंकुर के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। खेकड़ा के रामपुर मौहल्ले के किसान इंद्रपाल सिंह का बेटा अंकुर बचपन से ही अंधता का शिकार हो गया था। परिवार ने काफी इलाज कराने के बाद उसको दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल में प्रवेश दिला दिया। बाद में अंकुर ने खेल प्रतिभा के जरिए देश व विदेश में नाम कमाया। जिसके बाद उसका चयन अर्जुन अवार्ड के लिए हुआ। मंगलवार को राष्ट्रपति ने अंकुर को अवार्ड दिया। इससे खेकड़ा नगर वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई। देर शाम तक परिवार को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।
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दृष्टिहीन पैरा ओलंपियन अंकुर धामा की कहानी
भारतीय एथलीट आमतौर पर सरकारी सहयोग के बिना व्यक्तिगत स्तर पर ही मैदान में करामात दिखाने के लिए जाने जाते रहे हैं। ऐसी कई कहानियां हैं, जब खिलाड़ियों ने बिना किसी सुविधा के अपनी इच्छाशक्ति के बूते ही मंजिल हासिल की। ऐसे ही पैरा ओलंपिक एथलीट हैं अंकुर धामा, जिनकी आंखों की रोशनी बचपन में ही चली गई थी। लेकिन हौसलों की उड़ान नहीं थमी। अंकुर धामा की आंखों की रोशनी बचपन में ही चली गई थी। वह दुनिया भर में लगातार कई पैरा ओलंपिक चैंपियनशिप्स में पदक जीतते रहे हैं। वह स्कूलिंग के दौर से ही ऐक्टिव स्पोर्ट्समैन थे। स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही पहली बार उन्होंने इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था। उन्होंने 2009 में आयोजित हुए वर्ल्ड यूथ एण्ड स्टूडेंट चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल जीते थे।
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2008 में आयोजित इंडियन ब्लाइंड्स एसोसिएशन नेशनल मीट में उन्होंने 400 और 800 मीटर में गोल्ड जीता था। अंकुर ने क्रमश 1.10 और 2.25 मिनट में रेस पूरी कर रिकॉर्ड कायम किया था। सेंट स्टीफन्स कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने वाले अंकुर को शुरुआत में स्पॉन्सर्स की कमी थी। लेकिन, बाद में उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच सतपाल सिंह का सहारा मिला और वह रियो पैरा ओलंपिक में खेले। माता-पिता को जब ये मालूम पड़ा कि अब किसी सर्जरी से उनके बेटे का इलाज हो सकता है तो उन्होंने उसका एडमिशन दिल्ली के लोदी रोड स्थित जेपीएम सीनियर सेकेंड्री स्कूल फॉर ब्लाइंड में करवा दिया।
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उसी समय से अंकुर को स्पोर्ट्स से लगाव हो गया और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खेलने लगे। तीस साल के इतिहास में पहली बार अंकुर 2016 के पैरा ओलंपिक में भाग लेने वाले ब्लाइंड एथलीट बने। लेकिन 1500 मीटर की टी11 एथलेटिक्स स्पर्धा में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद वे फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहे। स्कूल में पहली बार उन्होंने इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भाग लिया। 2014 में एशियन पैरागेम्स में उन्होंने एक सिल्वर और दो कांस्य पदक जीते। मार्च में दुबई के एशिया ओसेनिया चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया। इस समय वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं।

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