
मेरठ। वे दिन लद गए जब किसान अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए धरने पर बैठ जाता था। आत्महत्या कर लिया करता था। इन सबके बाद भी सरकार पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता था। छोटे-छोटे गुटों में बंटे किसानों की समस्याएं भी अलग-अलग ही रही। इसीलिए सरकार भी उनकी बातें सुनकर भी अनसुनी करती रही। ऐसा कहना है भाकियू नेता राकेश टिकैत का। आज किसानों के बेटों ने सरकार तक बात पहुंचाने के लिए नए तरीके खोज लिए है। इसलिए वे ट्विटर जैसे सोशल मीडिया माध्यम को अपना हथियार बना रहे हैं।
कई आंदोलन की सफलता ने दिखाई राह
किसान एकता मंच से जुड़े मेरठ के युवा किसान नवीन प्रधान का कहना है कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया अपनी बात कहने और लोगों को जोड़ने का एक बड़ा हथियार बनकर उभरा है। इसमें चाहे ट्वीटर हो फेसबुक या फिर वाट्स एेप इन सभी पर देशहित में कई आंदेलन चलाए गए, जिस पर लोगों को सफलता भी मिली। एक-दूसरे से जुड़ते हुए पूरे देश में कड़ी बनी जिस पर सरकार को इन अभियान के आगे झुकना पड़ा। इसलिए अब किसानों की आवाज उठाने के लिए ट्वीटर का सहारा लिया जा रहा है।
'गांव बंद किसान छुट्टी पर' ने खींचा ध्यान
युवा किसान नेता का कहना है कि हम गांव बंद किसान छुट्टी पर जैसे ट्वीटर कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। जिसे काफी सफलता भी मिल रही है। उनका कहना है कि जब अन्य दूसरे आंदोलन सफल हो सकते हैं तो यह आंदोलन सफल क्यों नहीं हो सकता। यह अपने आपमें एक अनोखा आंदोलन होगा। जिसमें किसानों से एक से दस जून के बीच छुट्टी पर रहने की अपील की जा रही है। इस आंदोलन से ही पता चलेगा कि अगर किसान दस दिन तक छुट्टी पर रहे तो क्या हो सकता है।
सब कुछ सोशल मीडिया पर
युवा किसानों की टीम ने इस आंदोलन की सफलता को मोर्चा संभाला है। वे सबको सोशल मीडिया पर ही आंदोलन के बारे में बता रहे हैं। पूरे देश से ट्वीट आ रहे हैं और वे इस आंदोलन में साथ देने के इच्छुक भी है।
Published on:
25 Apr 2018 10:37 am
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