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Navratri 2018: पहले नवरात्र को मंदिरों में उमड़ा देवी भक्तों का सैलाब

पहले दिन हुई मां शैलपुत्री की पूजा, देवी मंदिरों में विशेष आरती हुर्इ

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मेरठ। चैत्र नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों में मां के भक्तों का सैलाब उमड़ा। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक वासंतिक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार नवरात्रि का प्रारंभ 18 मार्च, रविवार से होने के कारण मंदिरों में मां के भक्तों की भारी भीड़ रही। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नवस्वरूपों की पूजा की जाती है। मेरठ के दुर्गा मां के सिद्वपीठ मंदिराें में भारी भीड़ जमा रही। मंदिरों में लंबी-लंबी लाइनें सुबह से ही लगी हुई थी। देवी भक्त घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। जागृति विहार स्थित मंशा देवी मंदिर , गोल मंदिर और नौचंदी मैदान स्थित चंडी मंदिर में भक्तों ने मां के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

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नवरात्र में देवी का विशेष आशीर्वाद

मां दुर्गा शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक सनातन काल से मनाया जाता रहा है। आदि-शक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में पूजा की जाती है। अतः इसे नवरात्र के नाम भी जाना जाता है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य इनकी कृपा-दृष्टि के लिए लालायित रहते हैं। यह हिन्दू समाज का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक, नैतिक व सांसारिक इन चारों ही दृष्टिकोण से काफी महत्व है। दुर्गा पूजा का त्यौहार वर्ष में दो बार आता है, एक चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास में। चैत्र माह में देवी दुर्गा की पूजा बड़े ही धूम धाम से की जाती है, लेकिन आश्विन मास का भी अपना विशेष महत्व है। दुर्गा सप्तशती में भी आश्विन माह के शारदीय नवरात्रों की महिमा का विशेष बखान किया गया है।

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पहले दिन शैलपुत्री की पूजा

नवरात्र पूजन के प्रथम दिन मां शैलपुत्री जी का पूजन किया गया। शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है, मां शैल पुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होती हैं। नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से ‘मूलाधार चक्र जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती है।

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