यह भी पढ़ें-
AIIMS की लापरवाही से हिंदू परिवार ने मुस्लिम महिला का कर दिया अंतिम संस्कार, फोन आते ही उड़े परिजनों के होश मदरसों को यूडीआईएसई कोड दिया जाएगा, जिससे कि मदरसे की जियो टैगिंग संभव हो सकेंगी। हर मदरसे में अध्ययनरत छात्रों का विवरण भी अपलोड किया जाएगा। इसके साथ ही सॉफ्टवेयर के माध्यम से टीचर्स और स्टाफ की डुप्लीकेसी चेक की जाएगी। इसका मकसद अलग-अलग मदरसों में एक ही स्टाफ का कार्य करना होगा। इसके फलस्वरूप निर्धारित मानकों के अनुसार मदरसों में टीचर्स की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी, जिससे शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा। वहीं, मदरसे के छात्रों का डिजिटिलाइजेशन कर उनको छात्रवृत्ति पोर्टल से जोड़ा जाएगा, जिससे कि छात्रों की डुप्लीकेसी पर अंकुश लग सके। इससे फर्जी छात्र दिखाने की प्रवृत्ति पर अंकुष लगेगा। सरकारी योजनाओं का लाभ छात्रों को अधिक से अधिक मिल सकेगा।
आनलाइन होंगे सभी भुगतान मदरसों को होने वाला सभी भुगतान ऑनलाइन हो सकेंगे। इसके तहत मदरसों को बिल भी ऑनलाइन ही भेजने होंगे। ऑनलाइन भुगतान के बाद पीएफएमएस के माध्यम से उसका सत्यापन किया जाएगा। इनमें मदरसों को होने वाले सभी प्रकार के भुगतान शामिल होंगे। इस बारे में सीडीओ मेरठ ईशा दुहून के बताया कि मदरसों को अपग्रेड करने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। इसके लिए शासन स्तर पर तेजी से काम चल रहा है। मदरसों के अपग्रेड होने के बाद काम में पारदर्शिता आएगी और योजनाओं का लाभ भी अतिशीघ्र मिल सकेगा।