
यूपी के इस जिले में 4600 घोडे और गधों की जान खतरे में, दिखिए रिपोर्ट
बागपत। समय के साथ-साथ हम नई-नई बीमारी और वायरस के बारे में सुनते आ रहे हैं। जिनमें से कई ऐसे भी हैं जिनका अभी तक इलाज भी नहीं मिल सका है। अब पिछले कई दिनों से आप ग्लैंडर्स नामक बीमारी के बारे में सुनते आ रहे होंगे। जो कि एक जानलेवा बीमारी है और प्रशासन द्वारा लगातार लोगों को इसके बारे में जागरुक किया जा रहा है। कारण, यह बीमारी जानलेवा है और इसका इलाज भी अभी तक संभव नहीं है।
यह बीमारी घोड़े और गधों में होती है जो कि मनुष्य में भी फैल सकती है। इसके चलते प्रदेश के अलग-अलग जिलों में प्रशासन द्वारा घोड़ों व गधों के सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। वहीं जिनमें भी इस बीमारी की पुष्टी होती है उन्हें मौत का इंजेक्शन देकर मार दिया जाता है। जिसके चलते बागपत जिले के करीब 4600 घोड़े व गधों पर तलवार लटक रह है।
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दरअसल, बागपत में ग्लैंडर्स बिमारी के खतरे को देखते हुए ब्रुक इंडिया मोबाईल की टीम ने बड़ौत में चिक्तिसकों की टीम के साथ वार्ता की और गलैंडर्स की बीमारी के खतरे एंव उससे बचाव के बारे में जानकारी दी। डॉक्टरों का कहना है कि इस बिमारी का कोई इलाज नहीं है। केवल घोड़े को मारकर ही इसको रोका जा सकता है। इस बिमारी से बचाव के लिए सभी घोडों और गधों को अलग रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा जिले में से सात और घोडों के सैंपल भेजे गए हैं। जिसमें दो में बिमारी की पुष्टि होने की सम्भावना है।
गौरतलब है कि बागपत में ग्लैंडर्स की बिमारी को लेकर खतरा बढ़ता दिखाई पड़ रहा है। 100 से ज्यादा घोडों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। आठ से अधिक धोडों को मौत का इंजक्शन भी दिया जा चुका है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे में और अधिक सतर्कता की जरूरत है और जागरूकता से ही इससे बचा जा सकता है। लोगों को जागरूक करने के लिए बागपत ब्रुक इंडिया मोबाईल टीम ने मेरठ टीम के साथ मिलकर एक बैठक बडौत में की।
बैठक में ग्लैंडर्स बीमारी को लेकर चर्चा की गई। जिसमें डॉक्टर आर्य प्रकाश वरिष्ठ पशु चिक्त्सिक मेरठ, डॉक्टर राजन और बडौत ब्रुक स्टाफ मेंबर अनुज कुमार ने सभी वॉलियंटयर्स को बीमारी से बचाव, ब्लड सैंपल लेने के बारे में विस्तृत जानकारी दी। दस दिन से यह जानकारी जिले भर में दी जा रही है। इस बैठक में बागपत के 14 पशु चिक्त्सिक शामिल हुआ। बडौत उपपशुचिक्त्सिक खुशीराम की देख-रेख में यह बैठक आयोजित की गई। उनका कहना था कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इससे केवल बचाव किया जा सकता हैं।
बता दें कि ब्रुक इंडिया नाम की संस्था 2006 से बागपत में काम कर रही है। पहले इस संस्था में 12 लोग काम करते थे। लेकिन 2017 के बाद एक ही डाक्टर को यह जिम्मेदारी दे दी गई। जिले में मौजूद संस्था के डॉक्टर अनुज कुमार का कहना है कि जनपद में 4600 घोड़े, गधे और खच्चर मौजद हैं। जिसमें तीन हजार की जांच की जा चुकी है। पशु मालिकों को बचाव के उपाय की जानकारी दी जा रही है और उनको इस बीमारी के लक्षण के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही शनिवार को बुढ़पुर के भट्टे पर मौजूद सात घोडों के सैंम्पल भी भेजे गए हैं जिसमें दो घोडों में बिमारी के लक्षण होने की संम्भावना है।
Published on:
26 May 2018 03:28 pm
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