
मेरठ। इस बार 22 मार्च यानी सोमवार से होलाष्टक लग रहे हैं। जिसके चलते शुभ कार्यों पर ग्रहण लग जाएगा। यह होलाष्टक दुल्हड़ी के साथ समाप्त होगा। शहर के तिराहों, चौराहों पर वर्ष भर के कष्ट-विकार जलाने के लिए होलिकाएं तैयार हो चुकी हैं। 25 मार्च को रंगभरी एकादशी के बाद रंगोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। पंडित अनिल शास्त्री ने बताया कि पुराणों में होलाष्टक को लेकर एक मान्यता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। इससे प्रकृति में शोक की लहर फैल गई थी और लोगों ने शुभ कार्य करना बंद कर दिया था। इस वजह से भी होलाष्टक में को शुभ कार्य नहीं किए जाते।
पंडित अनिल शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी यानी होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लगने के साथ ही शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। होलिका दहन के बाद दुल्हडी के साथ होलाष्टक समाप्त होगा। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इस बार 28 मार्च को होलिका दहन होगा। वहीं 29 मार्च को चैत्र प्रतिपदा के दिन रंगोत्सव मनाया जाएगा।
फिलहाल शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में होलिकाएं तैयार की जा रही हैं। शहर में हर तिराहे, चौराहे पर होलिकाओं की प्रतिष्ठापना की गई है। मुहल्लों के बच्चे, किशोर और युवा होलिकाओं के लिए लकड़ियां जुटा रहे हैं, ताकि होलिकाएं ऊंची की जा सकें। ज्योतिषाचार्य अनिल शास्त्री ने बताया कि होलाष्टक की परंपरा के पीछे पौराणिक मान्यताओं का जिक्र करते हैं। उनके मुताबिक राजा हिरण्यकश्यप ने होलाष्टक की अवधि में ही भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को बंदी बना लिया था और यातनाएं दी थीं।
Published on:
20 Mar 2021 03:40 pm
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