
तीन तलाक बिल में ये हैं अहम तथ्य, जिनकी वजह से मुस्लिम महिलाआें को मिल पाएगा न्याय
मेरठ। नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में तीन तलाक बिल के अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अब यह अध्यादेश छह महीने तक लागू रहेगा। इस दौरान सरकार को इस बिल को संसद से पारित कराना होगा। कांग्रेस के कुछ प्रावधानों में बदलाव की मांग के कारण यह बिल राज्य सभा में अटका था। तीन तलाक के बिल को लेकर विभिन्न तरह की चर्चाएं शुरू हो गर्इ हैं। इस बिल में कर्इ अहम बातें हैं, जिसके लागू होने पर मुस्लिम महिलाआें को न्याय मिल सकेगा।
तीन तलाक बिल के अहम तथ्य
तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले बिल में मुस्लिम महिलाआें को कर्इ अधिकार दिए गए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि तीन तलाक देने वाले अपने पति पर संज्ञेय अपराध तभी माना जाएगा, जिसे तलाक कहा गया है कि वह महिला खुद पुलिस में शिकायत करेगी या फिर खून की रिश्तेदारी में से कोर्इ व्यक्ति शिकायत करेगा। इसमें तलाक देने की सीधे गिरफ्तारी हो सकती है। तीन तलाक बिल में एेसा भी प्रावधान है कि पत्नी का पक्ष जानने के बाद तलाक देने वाले पति को जमानत मिल सकती है, यह जमानत मजिस्ट्रेट द्वारा पक्ष सुनने के बाद दी जा सकेगी। इसके साथ-साथ महिला आैर बच्चों के भरण-पोषण की रकम मजिस्ट्रेट द्वारा ही निर्धारित की जाएगी। छोटे बच्चों की देख-रेख मां करेगी आैर पति-पत्नी के बीच समझौते जैसी स्थिति आती है तो पत्नी की पहल पर ही समझौता हो सकेगा आैर मजिस्ट्रेट महिला का पक्ष सुनने के बाद ही समझौते की शर्त निर्धारित करेंगे।
Published on:
19 Sept 2018 03:46 pm
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