
मेरठ। सदर बाजार स्थित करीब 150 साल पुराने मदरसा इमदादुल इस्लाम के संचालक मौलाना शाहीन जमाली का बुधवार को इंतकाल हो गया। वे पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। मौलाना शाहीन जमाली के इंतकाल से चारों ओर शोक की लहर दौड़ गई है। मौलाना अरबी भाषा के साथ ही संस्कृत भाषा के ज्ञाता और चारों वेदों के ज्ञानी भी थे। मौलाना का उपचार एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। उन्होंने बुधवार दोपहर अंतिम सांस ली। मौलाना मंत्रोच्चारण के साथ ही अपने मदरसे में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण भी करते थे। चारों वेदों का ज्ञान रखने वाले मौलाना शाहीन जमाली चतुर्वेदी के नाम से जाने जाते थे।
बता दें कि कोरोना के दौरान लॉकडाउन में भी वे किताबें लिखने में व्यस्त रहे। मेरठ में सबसे संवेदनशील क्षेत्र सदर बाजार में हिंदू-मुस्लिम एकता की जीती—जागती मिसाल थे। उनकी गिनती बड़े आलिमों में होती थी। उनका मदरसा हिंदू बाहुल्य क्षेत्र के बीच था। जहां एक ओर गुफा वाली वैष्णों देवी का मंदिर था वहीं दूसरी ओर मदरसा इमदादुल इस्लाम था। मौलाना जहां मंदिर के सामने से निकलते तो जय माता दी बोलते वहीं जब मदरसे में तो आते तो अस—सलाम वालेकुम बोलते थे।
मौलाना महफूजुर्रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी ने न सिर्फ मदरसा दारुल उलूम देवबंद से इस्लामिक शिक्षा की उच्च डिग्री ‘आलिम’ हासिल की। बल्कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से संस्कृत से एमए (आचार्य) भी किया था। चारों वेदों का अध्ययन करने पर उन्हें चतुर्वेदी की उपाधि मिली थी।
इनके गुरु की भी अलग है कहानी
मौलाना चतुर्वेदी ने बताया था कि उन्होंने प्रो. पंडित बशीरुद्दीन से संस्कृत की शिक्षा हासिल करने के बाद एएमयू से एमए (संस्कृत) किया था। अपने उप नाम (चतुर्वेदी) की तरह बशीरुद्दीन के आगे पंडित लिखे जाने के बारे में बताया था कि उन्हें संस्कृत का विद्वान होने के चलते पंडित की उपाधि देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दी थी।
Published on:
03 Jun 2021 10:49 am
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
