इसकेा लेकर रविवार को देवबंद के दारुल उलूम में प्रदेश भर के सभी मदरसा संचालकों का सम्मेलन बुलाया गया था। दारुल उलूम पहुंचे मदरसा संचालकों ने कहा कि उन्हें अनौपचारिक रूप से बुलावा मिला था इसलिए वह देवबंद पहुंचे थे। बता दें कि मदरसों के सर्वे को लेकर एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन) प्रमुख असदुद्दीन औवैसी सहित देवबंद से लेकर लखनऊ तक उलमा सवाल खड़े कर चुके हैं। यहां तक कहा गया कि सरकार ये काम एक समुदाय विशेष को निशाना बनाकर कर रही है।
यह भी पढे : भाजपा के पूर्व विधायक बोले- मदरसों में आतंकवादी बनाए जाते हैं, बहुत पहले सर्वे होना चाहिए था देवबंद में जब सम्मेलन बुलाने की बात कही गई तो सभी मदरसा संचालक ये मान रहे थे कि दारुल उलूम के इदारे से सर्वे का विरोध में कोई ना कोई ऐसा एलान होगा जो कि प्रदेश सरकार केा भारी पड़ सकता है। लेकिन रविवार को सम्मलेन तो हुआ लेकिन दारुल उलूम के इदारे से ऐसा कोई एलान नहीं हुआ। उल्टा प्रमुख उलमा का रुख बदला हुआ दिखाई दिया। जिसमें जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने स्पष्ट रूप से सरकार के इस फैसले के लिए उसका स्वागत करते हुए भरपूर समर्थन की बात कह दी।
सम्मेलन का आह्वान भले ही दारुल उलूम ने किया हो, लेकिन इसमें सबसे आगे जमीयत उलमा-ए-हिंद ही रही। सम्मेलन को संबोधित करने से लेकर अन्य बाकी चीजों में दारुल उलूम के जिम्मेदारों को पीछे रखा गया। हालांकि प्रदेश कोने कोने से देवबंद पहुंचे मदरसा संचालकों ने दारुल उलूम की राय पर एकमत से सहमति जताई है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रदेशाध्यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने भले ही सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया हो। लेकिन दबे सुर में सभी ने अपने अध्यक्ष का समर्थन ही किया है।