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5 सितंबर की मुजफ्फरनगर किसान पंचायत तय करेगी पश्चिमी की हवा का रूख

बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में खाप का अपना दबदबा और रूतबा है। इतना ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लगे पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी खापों का अच्छा खासा बोलबाला है।

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मेरठ

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Nitish Pandey

Aug 23, 2021

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मेरठ. आगामी 5 सितंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बाहुल्य जिले मुजफ्फरनगर में होने वाली किसान पंचायत आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भाकियू की इस किसान पंचायत पर सत्तारूढ़ भाजपा से लेकर विपक्षियों तक की पैनी नजर है। किसान बिल के विरोध में होने जा रही ये किसान पंचायत इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इसमें खाप भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

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16 जिलों में है खाप का अपना दबदबा

बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में खाप का अपना दबदबा और रूतबा है। इतना ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लगे पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी खापों का अच्छा खासा बोलबाला है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिना खाप की मर्जी के पत्ता तक नहीं हिलता। माना जाता है कि चुनाव के दौरान खाप पंचायत के फैसले प्रत्याशियों की जीत-हार का फैसला तक कर देते हैं। इसलिए इन खापों से टकराने की हिम्मत न तो सत्तारूढ दल में और न विपक्षियों में। यहीं कारण है कि भाकियू द्वारा बुलाई किसान पंचायत में खापों के दखल के बाद भाजपा के माथे पर परेशानी पर बल पड़ गए हैं।

किसान पंचायत को असफल बनाने में भाजपा ने झोंकी ताकत

भाजपा के दिग्गज जाट नेताओं और जनप्रतिनिधियों को इस किसान पंचायत को विफल करने और खाप के चौधरियों और थांबेदारों को मनाने के लिए लगाया गया है। गठवाला खाप की खरड़ में हुई पंचायत में थांबेदार और चौधरियों ने कहा कि वे अपनी खाप और किसानों को नहीं बंटने देंगे। किसान हित की बात करने वालों का खाप के लोग समर्थन करेंगे। पांच सितंबर को किसान मुजफ्फरनगर में आयोजित किसान संगठन की महापंचायत में भारी संख्या में पहुंचकर खाप की हिस्सेदारी दर्ज कराएंगे।

भाकियू का खोया वर्चस्व बचाने समर्थन में आईं खापें

पंचायत में किसान आंदोलन के समर्थन और पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली किसान संगठनों की महापंचायत में पहुंचने का मुद्दा छाया रहा। वहीं दूसरी ओर बहावड़ी गांव के थांबेदार चौधरी श्याम सिंह ने भी कहा है कि वे अपनी किसी भी गलती के लिए खाप के बाबा से माफी मांगते हैं। खाप का बाबा खाप की शान है। हम खाप व किसान को नहीं बंटने देंगे।

राजनीति से अलग हटकर है किसानों की समस्या

फुगाना गांव के थांबेदार वीर सैन मलिक ने कहा कि हमारा कार्य खाप की चौकीदारी करने का है। खाप के लोगों की मर्जी के बिना हमें कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। लांक गांव के थांबेदार चौधरी रविंद्र सिंह ने कहा कि वे बहावड़ी के बाबा श्याम सिंह के साथ हैं। किसी के दबाव में कोई निर्णय नहीं लेंगे। इस मामले में पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने कहा कि किसानों की समस्या राजनीति से अलग हटकर है। खाप और किसान को किसी भी कीमत पर बंटने नहीं दिया जाएगा।

पंचायत कर खापें जुटाएगी किसान महापंचायत के लिए समर्थन

आगामी 5 सितंबर की किसान महापंचायत के लिए खाप पंचायतों के चौधरी गांवों में पंचायत कर समर्थन जुटाने का काम करेंगे। इसके लिए 29 अगस्त को गठवाला खाप के गांव कुरावा में और 30 अगस्त को खाप के गांव कुड़ाना में पंचायत का आयोजन करने का निर्णय लिया गया। दोनों गांवों की पंचायत में पांच सितंबर को आयोजित महापंचायत में भारी संख्या में जाने की रणनीति बनाई जाएगी।

महापंचायत के बाद बदलेगा पश्चिमी की सियासी हवा का रूख

मुजफ्फरनगर की 5 सितंबर की महापंचायत के बाद पश्चिमी यूपी की सियासी हवा का रूख भी बदलेगा। देखना है यह हवा का रूख भाजपा के पक्ष में होता है या फिर इसका लाभ विपक्ष को मिलेगा। वैसे महापंचायत की सफलता के लिए विपक्ष नेता भी लामबंद हो गए हैं। यहीं कारण है कि खापों की पंचायत में भी विपक्षी नेता की उपस्थित दिख रही है। अगर महापंचायत सफल हुई तो निसंदेह यह भाजपा के लिए आगामी चुनाव के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। जिससे पार पाना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा।

BY: KP Tripathi

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