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अंबेडकर जयंती पर यहां रहा सन्नाटा, पिछले 20 साल में पहली बार दिखा यह सीन

अंबेडकर जयंती पर बसपा जिला कार्यालय पर नहीं पहुंचे पार्टी कार्यकर्ता, शहर में बड़ा आयोजन भी नहीं कराया  

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मेरठ। बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर जहां बसपा जिला कार्यालय पर सुबह से ही चहल-पहल रहा करती थी, आज वहां पर सन्नाटा पसरा हुआ था। बीस साल में पहली बार ऐसा हुआ है। जब अंबेडकर जयंती के मौके पर कार्यालय को तो फूलमालाओं से सजाया गया आैर आसपास सफार्इ करके चूना भी डाला गया, लेकिन कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ। कार्यालय के प्रमुख गेट पर ताला भी लगा रहा, हालांकि दोपहर बाद यहां कुछ कार्यकर्ता आ गए थे। समय-समय की बात होती है। सरकारें किसी की भी हो लेकिन अंबेडकर जयंती के मौके पर बसपा का कार्यालय गुलजार रहा करता था। बसपा कार्यालय पर सुबह से ही लाउडस्पीकर पर बाबा साहेब पर लिखे गए गीतों को बजाया जाता था। बसपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की गाड़ियों का काफिला एक दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जाता था, लेकिन इस बार न तो पदाधिकारी ही दिखाई दे रहे थे और न ही कार्यकर्ता। थी तो बस अंबेडकर जयंती के नाम पर कार्यालय के भीतर बाबा साहेब की मूर्ति के ऊपर माल्यार्पण कर जन्मदिन की खानापूर्ति।

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दो अप्रैल को उपद्रव के बाद सतर्क हुई बसपा

बसपा के पदाधिकारियों का कहना है कि बीती दो अप्रैल को हुए उपद्रव के बाद से बसपा काफी सतर्क हो गई है। जिले में होने वाले हर कार्यक्रम और उनकी गतिविधियों पर बहन जी की नजर है। उन्होंने बताया कि इस बार शहर और जिले में होने वाले किसी भी आयोजन से पार्टी पदाधिकारी और बड़े कार्यकर्ताओं को दूर रहने के निर्देश पार्टी सुप्रीमो की ओर से दिए गए थे। जिसके चलते अंबेडकर जयंती शालीनता और साधारण तरीके से मनाने के निर्देश थे।

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बड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ता गौतमबुद्धनगर तलब

पार्टी ने किसी भी तरह से आयोजन और संभावित उपद्रव से अपने आप को दूर रखते हुए अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को गौतमबुद्धनगर तलब किया था। गौतमबुद्धनगर में ही बसपा ने पार्टी का बड़ा आयोजन किया था। सूत्रों के अनुसार इसी कारण मेरठ के बसपा कार्यालय में कोई बड़ा आयोजन नहीं आयोजित किया गया।

बसपा की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार हो सकता था उपद्रव

बसपा के जिलाध्यक्ष मोहित कुमार ने बताया कि कुछ राजनैतिक दल चाहते हैं कि जिले में 14 अप्रैल को उपद्रव हो और उसकी जिम्मेदारी बसपा पर डाल दी जाए। जैसा कि बीती दो अप्रैल को हुआ। उन्होंने कहा कि दो अप्रैल को हुआ उपद्रव बसपा के खिलाफ सुनियोजित षडयंत्र के तहत था। इसी तरह से यदि 14 अप्रैल को जिले में कहीं कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदारी बसपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों पर डालने की तैयारी थी। इस कारण बहन जी ने बाबा साहेब के जन्मदिन के मौके पर जिले में किसी भी बड़े आयोजन करने की अनुमति प्रदान नहीं की।

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