
मेरठ. कभी भाजपा का ब्राह्मण चेहरा कहे जाने वाले दिग्गज भाजपा नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी इन दिनों अपनी ही सरकार में उपेक्षित पड़े हुए हैं। जनसंघ के जमाने से भाजपा को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में अटल-आडवाणी के जमाने में दरी बिछाने वाले इस ब्राहमण नेता की कोई पूछ नहीं हो रही है। कारण क्या है ये तो संगठन के पदाधिकारी और खुद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ही बेहतर बता सकते हैं।
फिर हाथ लगी मायूसी
योगी मंत्रीमंडल विस्तार से पहले चर्चाओं का दौर था कि भाजपा डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को मंत्री पद दे सकती है या फिर विधानपरिषद भेज सकती है। लेकिन दोनों में कुछ भी संभव नहीं हो पाया। एक बार फिर से डॉ वाजपेयी के समर्थकों को मायूसी हाथ लगी है। जबकि दूसरे दल से भाजपा में शामिल हुए जतिन प्रसाद को मंत्रीपद से नवाजा गया है। डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भाजपा में जतिन प्रसाद से अधिक कद्दावर नेताओं में गिना जाता रहा है।
अटल और आडवाणी के थे करीबी
डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के करीबियों में गिने जाते थे। संगठन की बात करें या फिर सरकार की डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी हमेशा सुर्खियों में बने रहते थे। केंद्र की पूर्व भाजपा सरकार रही हो या फिर प्रदेश में भाजपा की सत्ता का दौर रहा हो। दोनों में ही डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की पूरी तूती बोलती थी। डॉ. वाजपेयी के एक इशारे पर जिला प्रशासन से शासन तक हिल जाता था।
आजकल कर रहे ज्ञापन देने का काम
2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद लगा था कि डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को जल्द ही कोई पद या केंद्र में किसी योजना का अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े वाजपेयी के दुर्दिन यहीं से शुरू हुए। वोटों के ध्रुवीकरण में फंसी भाजपा के दिग्गज उम्मीदवार डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी चुनाव हार गए। उसके बाद से आज तक डॉ. वाजपेयी मेरठ जिला प्रशासन के समक्ष जन समस्याओं को लेकर आए दिन ज्ञापन आदि देने का काम कर रहे हैं।
जूनियरों को मिल रही मलाई, वाजपेयी की हो रही उपेक्षा
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा की सरकार होते हुए भी राजनीति के हाशिए पर है। उनसे जूनियर नेताओं को पार्टी हाईकमान ने सत्ता के शीर्ष सिहांसन पर बैठाया हुआ है पर उनकी उपेक्षा पार्टी में लगातार हो रही है। अक्सर उनका नाम कभी राज्यसभा तो कभी विधानपरिषद के लिए चलता है पर अंत में उनका नाम काट दिया जाता है। डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी अप्रैल 2012 से अप्रैल 2016 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2017 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद उनको प्रदेश सरकार में भी स्थान नहीं मिल सका। इसके बाद से वह लगातार मेरठ की जनता की सेवा में लगातार लगे रहते हैं।
BY: KP Tripathi
Updated on:
27 Sept 2021 03:35 pm
Published on:
27 Sept 2021 03:32 pm
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
