
महाशिवरात्रि को सदी में पहली बार पड़ रहा ये दुर्लभ योग, इन समय पूजा करना होगा लाभदायक
मेरठ। फाल्गुन मास में विशेष तौर पर महाशिवरात्रि पर की गयी शिव की उपासना आपकी सम्पत्ति, सम्पूर्ण परिवार को उन्नति तथा स्वंय की भी रक्षा प्रदान करती है। 'हे देवेश्वर शंकर, मेरी रक्षा कीजिए। लोकवन्दित परमेश्वर, मेरी रक्षा कीजिए। सबको पवित्र करने वाले वागीश, मेरी रक्षा कीजिए।सर्पों का आभूषण पहनने वाले शिव, मेरी रक्षा कीजिए। धर्म-स्वरूप वृषभ पर सवारी करने वाले देवता, मेरी रक्षा कीजिए।' इस प्रकार की पूजा कर आप भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार महाशिवरात्रि का अपना विषेश महत्व है।
इस सदी में पहली बार पड़ रहा यह योग
इस वर्ष सोमवारीय महाशिवरात्रि चार मार्च को दोपहर बाद 4.29 बजे से श्रवण नक्षत्र तथा परिघ योग व सर्वार्थसिद्धि योग में उस समय पड़ रही हैं जब चन्द्रमा मकर राशि पर होंगे और सूर्य कुम्भ राशि पर। जिसमें पाताली भद्रा प्रारम्भ का समय शाम 4.29 से प्रातः 5 बजकर 49 मिनट तक है। महानिशीथ काल रात्रि 12.08 बजे से रात्रि 12.48 बजे तक विशेष है। जिसमें द्वादश ज्योतिर्लिंग को पूजित करना प्रबल शुभ ऊर्जा कारक हो सकेगा। इस प्रकार का विशेष योग इस सदी में पहली बार पड़ रहा है।
नकारात्मक प्रभाव दूर करने के लिए करें ऐसे पूजा
महाशिवरात्रि व्रत चार मार्च सोमवार को रात्रि पूजन का विशेष महत्व, जलाभिषेक प्रातः 6.47 बजे से अगले दिन सायं 7.00 बजे तक भी। महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा व रूद्राभिषेक लगभग सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों को दूर करके सकारात्मक प्रभावों को प्रबल करने में समर्थ होता है।
चारों प्रहर का पूजा मुहूर्त
प्रथम प्रहर- शाम 6.48 से। द्वितीय प्रहर- रात 9.25 से, तृतीय प्रहर रात 12.32 से और चतुर्थ प्रहर- प्रातः 5.39 से प्रारंभ हो रहा है। इन चार प्रहर में की गई पूजा का अपना विशेष महत्व है।
Updated on:
03 Mar 2019 05:50 pm
Published on:
03 Mar 2019 03:32 pm
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
