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Lok Sabha Election 2019: पूर्वी उत्तर प्रदेश में बसपा हुर्इ कमजोर तो मायावती ने खेला ये कार्ड, जानकर रह जाएंगे दंग, देखें वीडियो

र्इस्ट के मुकाबले वेस्ट यूपी के बसपा कार्यकर्ताआें में ज्यादा जोश  

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Lok Sabha Election 2019: पूर्वी उत्तर प्रदेश में बसपा हुर्इ कमजोर तो मायावती ने खेला ये कार्ड, सब रह जाएंगे हैरान

केपी त्रिपाठी, मेरठ। लोकसभा चुनावों को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती सधी रणनीति के तहत चल रही हैं। इस बार वह 2014 जैसी गलतियों को नहीं दोहराना चाहती। इसी कारण वे प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर पार्टी के प्रभाव का आंकलन कर रही हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार बसपा पश्चिम की अपेक्षा पूरब में कमजोर पड़ रही है। जिसके कारण पूर्व मुख्यमंत्री ने अपना ध्यान पश्चिम की अपेक्षा पूरब की ओर केंद्रित किया है। बताते चलें कि वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा में पार्टी ने ब्राह्मण कार्ड खेला था। जिसके परिणाम उत्साहवर्धक रहे थे और प्रदेश के ब्राह्मणों ने मायावती को सूबे के मुख्यमंत्री पद का ताज पहना दिया था, लेकिन उसके बाद से मायावती ने यह कार्ड नहीं खेला। लिहाजा पार्टी की प्रदेश में दुर्गति किसी से छिपी नहीं है।

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लोक सभा चुनाव के लिए पूरब में खेला ब्राह्मण कार्ड

सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद मायावती लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेल रही हैं। आम चुनाव 2019 के लिए पूरब में बसपा सुप्रीमो ने अभी तक जितने भी लोकसभा प्रभारी घोषित किए हैं, उनमें सबसे बड़ी तादाद ब्राह्मण समुदाय के नेताओं की है।

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पश्चिम की तुलना में पूरब में कमजोर बसपा

बसपा में माना जाता है कि जिन्हें लोकसभा प्रभारी बनाया जाता है, वही उम्मीदवार होते हैं। बसपा के लिए पश्चिम यूपी की तुलना में पूर्वी उत्तर प्रदेश थोड़ा कमजोर माना जाता है। ऐसे में मायावती ने बड़ा दांव चला है। बसपा सुप्रीमो ने रविवार को उत्तर प्रदेश में 18 प्रभारियों के नाम घोषित किए हैं। हालांकि इनमें से कई नामों का ऐलान पहले ही किया जा चुका है। बसपा ने ब्राह्मण कार्ड के रूप में भदोही से रंगनाथ मिश्रा, सीतापुर से नकुल दुबे, फतेहपुर सीकरी से सीमा उपाध्याय, घोसी से अजय राय, प्रतापगढ़ से अशोक तिवारी और खलीलाबाद से कुशल तिवारी के नाम लगभग तय माना जा रहे हैं। पूर्वांचल ब्राह्मण को मजबूत गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि बसपा पूर्वी उत्तर प्रदेश से 6 ब्राह्मण चेहरे उतारने का मन बना चुकी है।

पूर्व की अाजमाई नीति पर काम कर रही बसपा

दरअसल, उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण कार्ड चलने के पीछे बसपा की आजमाई नीति ही काम कर रही है। 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने दलित-ब्राह्मण की कैमेस्ट्री का प्रयोग किया, जिसका उसे बड़ा राजनैतिक लाभ मिला था।

पश्चिम में नहीं कर रही परिवर्तन

बसपा के पश्चिम कोर्डिनेटर शमसुद्दीन राइन के अनुसार बहन जी पश्चिम उप्र में कोई बड़ा फेरबदल नहीं कर रही हैं। महागठबंधन के समझौते में मिली सभी सीटों पर दमदार प्रत्याशियों को उतारने की कवायद चल रही है।

मायावती के जन्मदिन पर उमड़ा था सैलाब

पिछले दिनों मायावती के जन्मदिन के मौके पर पश्चिम उप्र में हुए कार्यक्रमों में बसपाइयों की भीड़ देखने लायक थी। जिसमें केक की मारामारी और अपने बसपा सुप्रीमो के जन्मदिन मनाने के लिए पश्चिम के हर जिले में बसपा से जुड़े हर वर्ग में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला था। वहीं पूरब के जिलों में यह उत्साह नाममात्र को ही दिखा था। बसपा सुप्रीमो के सूत्रों ने यह बात भी उन्हें बताई। जिससे वे काफी सतर्क हो गईं हैं, खासकर पूर्वी उप्र को लेकर।