
मेरठ। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) अब चिकित्सकों की निगरानी करेगी। डॉक्टरों की बायोमीट्रिक उपस्थिति के साथ ओपीडी, वार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। साथ ही हर साल एमसीआई के रजिस्ट्रेशन नंबर कार्ड लाइसेंस का नवीनीकरण होगा। अब इस कार्ड में रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडी की चिप लगेगी ताकि डॉक्टर के लोकेशन को एमसीआई दिल्ली और लखनऊ में बैठकर देख सके। घेराबंदी इसलिए की जा रही है ताकि मरीजों के इलाज की स्थिति सामने आ सके। इलाज की गुणवत्ता को ठीक करने के लिए ही एमसीआई ने शिकंजा कसा है।
कई कालेज में नियुक्ति का खेल
प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं और एक-एक प्रोफेसर को तीन-तीन मेडिकल कॉलेज में नियुक्त कर रखा है ताकि मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर कोई खतरा पैदा न हो। इस खेल को बंद करने के लिए एमसीआई ने जून से बायोमीट्रिक हाजिरी शुरू करने का फरमान जारी कर दिया है। एमसीआई ने पत्र के जरिए दिशा-निर्देशों की जानकारी दी है। एमसीआई के इस पत्र से चिकित्सकों में हडकंप मचा है। ऐसे चिकित्सक जो कई जगह डयूटी कर रहे थे उन्हें सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड रहा है।
शामिल होंगे एमएस-एमडी चिकित्सक भी
एमबीबीएस करने के बाद एमएस-एमडी कर रहे जूनियरों डॉक्टरों को भी शामिल किया गया है। उनकी भी लोकेशन एमसीआई लेगी। सीसीटीवी कैमरे भी वार्ड, ओपीडी और क्लास रूम में लगाने के निर्देश दिए गए हैं। कैमरों को एमसीआई के कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। इन कैमरों के जरिए डॉक्टरों की कार्यप्रणाली का आंकलन भी किया जाएगा। वरिष्ठ डॉक्टर कैसे पढ़ाते हैं, इसका भी आंकलन एमसीआई की ओर से किया जाएगा। इसके अतिरिक्त एमसीआई गुप्त रूप से मरीजों से भी बात करने के लिए सर्वे कराएगी कि जिस चिकित्सक से उनका इलाज चल रहा है। उस चिकित्सक से वो लोग संतुष्ट हैं या नहीं।
बोले प्राचार्य
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एके गर्ग ने बताया कि चिकित्सकों का पूरा ब्योरा मांगा गया है। उसे सरकार को भेज दिया गया है।
Published on:
19 Apr 2018 05:13 pm
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