
मेरठ।चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में उत्तर पुस्तिका बदलने के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कमेटी का गठन कर दिया है। इस तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष होंगे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीके राठी। एमबीबीएस कापी बदलने के सनसनीखेज खुलासे के बाद विश्वविद्यालय ने अपने पांच कर्मचारियों पर कार्रवाई की थी। पूरे मामले की जांच एसटीएफ और एटीएस कर रही है।
तीन सदस्यीय कमेटी में ये होंगे
विवि प्रशासन ने मेरठ का व्यापम केस बन चुके इस मामले में तीन सदस्यीय समिति गठित करते हुए आदेश जारी किए हैं। रिटायर्ड जस्टिस बीके राठी के अलावा इसमें जो अन्य दो सदस्य होंगे उनमें राजिस्ट्रार और प्रो. जयमाला हैं। वीसी प्रो. एनके तनेजा ने बताया कि एमबीबीएस वर्ष 2018 की कापियाें को बदलने में छात्र नेता कविराज से जिन विश्वविद्यालय कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई थी। उन पर कार्रवाई हो चुकी है। विवि ने आरोपी दो कर्मचारी पवन कुमार और सलेक चंद्र को निलंबित कर दिया है, जबकि सीपी सिंह और कपिल की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं।
यह था मामला
बीती 16 मार्च को एसटीएफ ने कैंपस में छापा मारकर छात्रनेता कविराज और तीन अन्य को एमबीबीएस कापियों के बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया था। एसटीएफ का दावा था कि कविराज विवि के कर्मचारी पवन, संदीप और कपिल की मदद से परीक्षा के बाद कापियों को बदलने का कार्य करता था। जिसकी एवज में ये लोग एक लाख से डेढ़ लाख रुपये तक वसूलते थे। इन लोगों के तार मेरठ ही नहीं बल्कि हरियाणा तक फैले हुए थे। इससे पहले एमबीबीएस का पेपर आउट मामला सामने आया था। जिसकी जांच के दौरान ही ये कापियां बदलने वाला मामला सामने आया।
बड़ी मछलियां पकड़ से दूर
एसटीएफ की जांच हो या एटीएस की, लेकिन इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय की कोई बड़ी मछली नहीं फंसी है। सूत्रों की माने तो पकड़े गए लोग इस पूरे मामले का मात्र एक मोहरा है। असली शातिर तो कोई और है। मास्टर माइंड विश्वविद्यालय के भीतर ही है।
Published on:
25 Mar 2018 05:31 pm
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