
Nagpanchami 2022: पूजा के नाम पर कमाई का जरिया नाग देवता, सावन के महीने में खूब होती है दुर्दशा
Nagpanchami 2022 आज नागपंचमी के दिन जगह—जगह सांप को अपने पिटारे में लेकर घूमते हुए सपेरा प्रजाति के लोग दिखाई दे जाएंगे। ये एक तरह से वन विभाग की लापरवाही के मुंह पर तमाचा भी है। वन विभाग जीव जंतुओं के संरक्षण के बड़े दावे तो करता है। लेकिन वन विभाग के इन दावों की पोल आज नाग पंचमी के दिन मंदिरों, बाजारों और गांव देहात में लगे मेलों में सांपों को लेकर घूम रहे ये लोग खोल रहे हैं। मेरठ डीएफओ राजेश कुमार ने पत्रिका से हुई बातचीत में बताया था कि सांपों के संरक्षण के लिए कई टीमों का गठन किया गया है जो कि हस्तिनापुर के वन्य जीव सेंन्युअरी में तैनात की गई है। बात प्रदेश की राजधानी लखनऊ की करें तो यहां भी सैकड़ों स्थानों पर नागपंचमी के दिन नाग देवता को पिटारी में रखकर धन कमाते हुए सपेरा प्रजाति के लोग दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में तो बकायदा जीवित सांपों की पूजा का प्रावधान गांवों में हैं। वन विभाग के सूत्रों की माने तो गोरखपुर के अधिकांश गांव में नागपंचमी के दिन गांव में लोग खुद ही सांपों को पकड़कर उनकी पूजा करते हैं। कुछ ऐसी ही परंपरा नागपंचमी के दिन प्रयागराज, चित्रकूट, राजापुर में भी है।
जीवित सांप की पूजा का प्रावधान गलत
इस बारे में ज्योतिष भी दो मतों में बंटा हुआ है। एक ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म में कालसर्प दोष में जीवित सांप की पूजा करने से इसका असर खत्म हो जाता है। वहीं सावन के दिन में किसी एक दिन जीवित सांप की पूजा से शिव भगवान प्रसन्न होते हैं। वहीं एक अन्य दूसरे ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जीवित सांप की पूजा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीवित सांप को दूध पिलाना चाहिए और जो भी उसे प्रिय हो वो खिलाना चाहिए।
पूजा के दौरान नाग देवता को रखते भूखा
सपेरों की बस्तियों में जीवित नाग की पूजा के दौरान उसको भूखा रखा जाता है। जब तक पूजा समाप्त नहीं हो जाती कुछ भी खाने को नहीं दिया जाता। पूजा समाप्ति के बाद ही उसको जंगल में छोड़ते समय कुछ खाने को दिया जाता है। पूजा के दौरान नाग को भूख के कारण असहाय कष्ट को सहना होता है। इसी के साथ सांप को बंदिशों में भी रखा जाता है।
Published on:
02 Aug 2022 04:43 pm
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