
नोटबंदी आैर जीएसटी का असर अब इस बड़ी कंपनी पर पड़ा, इतनी बुरी हालत हो गर्इ है इसकी!
मेरठ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी आैर जीएसटी लागू करने का असर कम से कम मेरठ में तो दिखार्इ देने लगा है। अभी कुछ दिन पहले ही यहां एक होटल कारोबारी अचानक से घर पर ताला लगाकर गायब हो गया। आज तक भी उसका पता नहीं है। उसका होटल रिलायंस कैपिटल के पास गिरवी रखा था जिसे मेरठ के ही चार व्यापारियों ने लोन चुकता कर मुक्त कराया। अब मेरठ का एक और रसूखदार ब्रांड बंदी के कगार पर चल रहा है। इस ब्रांड ने अपने सभी प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को काम पर न आने के लिए बोल दिया है। चर्चा है कि इस प्रतिष्ठान पर बैंकों का करीब 90 करोड़ रूपया बकाया है। यह प्रतिष्ठान आटोमोबाइल के कारोबार से जुड़ा हुआ है।
मारुति सुजुकी के डीलर के साथ हुआ एेसा
इस प्रतिष्ठान के कारोबारी मेरठ और आसपास के जिलों में मारुति सुजूकी के बड़े डीलरों में शुमार है। इनके प्रतिष्ठान राजस्नेह के नाम से संचालित हैं। कंपनी में कार्य करने वाले लोगों का कहना है कि राजस्नेह के मालिकों ने बैंक आदि से मोटा कर्ज लिया हुआ है। जिसकी अदायगी अभी तक नहीं हो पाई है। कंपनी को लगातार कई वर्ष से घाटा हो रहा है। रही सही कसर नोटबंदी ने पूरी कर दी। उसके बाद कंपनी का घाटा दिन-प्रतिदिन कम होता चला गया। बैंक के बढ़ते ब्याज और शोरूम की कम होती आमदनी के कारण मालिकों ने इसको बंद करने का फैसला लिया है। राज स्नेह से जुड़े सूत्र जहां इस कर्ज को करीब 90 करोड़ रुपये बताते हैं। अब शोरूम की जमीन बिकने की चर्चा भी तेज हो गयी है।
कर्ज के कारण काम बंद करने का फैसला
राजस्नेह कंपनी का मोहकमहपुर दिल्ली रोड में मारुति कंपनी की गाड़ियों का शोरूम और वर्कशॉप है। इसके एमडी अशोक जैन और डायरेक्टर मनोज गुप्ता हैं। इसके अलावा कंपनी के नेक्सा और एरेना के शोरूम के साथ अपनी ब्रांच व वर्कशॉप शहर के अलावा अन्य शहरों में भी खोली हैं। कर्ज में डूबते दोनों पार्टनरों ने अपना काम बंद करने का फैसला किया है। कंपनी ने अपने शोरूम बनाने पर इन लोगों का मोटा खर्च कराया तो राजस्नेह से ज्यादा आमदनी हो नहीं पायी। बैंकों का ब्याज बढ़ता जा रहा था। इस मामले में अशोक जैन, प्रियांक जैन, मनोज गुप्ता और मयंक गुप्ता से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
मेरठ में लगातार बंद होते जा रहे प्रतिष्ठान
मेरठ में प्रतिष्ठित होटल हारमनी इन पर ताला लटक जाने के बाद अन्य कई प्रतिष्ठानों की हालत भी पतली हो चली है। हारमनी के बाद अब राजस्नेह पर बंदी के बादल मंडराने लगे हैं। नोटबंदी आैर जीएसटी की मार के बाद से मेरठ का व्यापारी वर्ग उभर नहीं पाया है। सूत्रों की माने तो अभी और भी कई प्रतिष्ठान बंदी के कगार पर हैं।
Published on:
11 Oct 2018 11:03 am
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