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मेरठ में तीन बच्चों की मौत के मामले में NHRC ने तलब की रिपोर्ट, चॉकलेट लेने गए बच्चे कफन में लिपटकर घर पहुंचे

मेरठ जिले में तीन बच्चों की मौत के मामले में NHRC ने रिपोर्ट तलब किया है। बच्चे घर से चॉकलेट खरीदने के लिए गए थे। दूसरे दिन कफन में लिपटकर घर पहुंचे। इस दुखद घटना से मां-बाप का जहां कलेजा फट गया है। वहीं मोहल्ले में बच्चों के किलकारियों की गूंज हमेशा के लिए शांत हो गई।

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मेरठ

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Mahendra Tiwari

Aug 10, 2025

Nhrc

कार्यालय की सांकेतिक फोटो जेनरेट AI

मेरठ के सिवालखास क्षेत्र में पानी से भरे गड्ढे में गिरने से तीन मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने जांच की प्रगति तथा पीड़ित परिजनों को प्रदान किए गए मुआवजे का ब्योरा भी मांगा है।

मेरठ जिले की यह घटना बीते रविवार सुबह की है। जब सिवालखास के वार्ड संख्या-1 निवासी हिम्मत सिंह का आठ वर्षीय पुत्र ऋतिक, पड़ोसी जितेंद्र की नौ वर्षीय पुत्री मानवी तथा मोनू का आठ वर्षीय बेटा शिवांस उर्फ शिबू घर से चॉकलेट लेने निकले थे। इसके बाद तीनों लापता हो गए। परिजनों द्वारा सूचना देने पर पुलिस और स्थानीय लोगों ने खोजबीन शुरू की। लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। लगभग 20 घंटे चले तलाशी अभियान के बाद सोमवार तड़के तीनों के शव अनम गार्डन कॉलोनी के पास एक निर्माणाधीन स्थल पर जलभराव वाले गहरे गड्ढे में बरामद हुए।

हत्या और लापरवाही की आशंका

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, मानवी की गला दबाकर हत्या की गई। जबकि ऋतिक और शिवांस की मौत पानी में डूबने से हुई। पुलिस ने प्रारंभ में अपहरण का मुकदमा दर्ज किया था। जिसे अब हत्या में तरमीम कर दिया गया है। कॉलोनी का निर्माण कार्य करा रहे मुरादनगर निवासी बिल्डर असलम को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

बिल्डर की लापरवाही बनी हादसे की वजह

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नवविकसित अनम गार्डन कॉलोनी में निर्माण कार्य के दौरान एक छह फीट गहरा गड्ढा खुदवाया गया था, जिसे बिना किसी सुरक्षा उपाय के खुला छोड़ दिया गया। बारिश के कारण गड्ढा पानी से भर गया, जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हुआ। चॉकलेट खरीदकर लौटते समय तीनों बच्चे गड्ढे में गिर गए और उनकी मौत हो गई।

प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल

इस हादसे ने नगर विकास योजनाओं और कॉलोनी विकास में सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने यदि निर्माण स्थलों की निगरानी समय रहते की होती। तो यह हादसा टल सकता था।