
मेरठ। 'निर्मल हिंडन कार्यक्रम' के अंतर्गत आज मंडलायुक्त मेरठ डॉ. प्रभात कुमार के नेतृत्व में पुरा महादेव स्थित हिंडन पुल के नीचे नदी की सफाई के लिए लगभग 500 लोगों द्वारा मिलकर श्रमदान किया गया। इस दौरान निर्मल हिंडन कार्यक्रम से जुड़े सभी हिंडन मित्रों (वॉलंटियर) द्वारा नदी में जमा कूड़ा करकट, जंगली घास आदि की सफाई की गई। आसपास के ग्राम प्रधानों अन्य ग्रामवासियों, नगर निगम मेरठ एवं विभिन्न स्थानीय निकायों के सफाई कर्मचारियों द्वारा भी इस कार्य में सहयोग दिया गया। निर्मल हिंडन कार्यक्रम की प्रेरणा डॉ. प्रभात कुमार द्वारा इस दौरान स्वयं नदी में उतर कर गंदगी की सफाई की गई। निर्मल इंडियन टीम द्वारा लगभग 300 मीटर लंबाई में नदी की सतह से गंदगी को साफ किया। जिससे नदी काफी साफ दिखाई देने लगी। इस दौरान मंडलायुक्त के साथ हिंडन की सफाई के लिए अधीनस्थ अफसर भी उतरे, इनमें अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) सत्य प्रकाश पटेल, अपर जिलाधिकारी बागपत लोकपाल सिंह, अपर नगर आयुक्त अली हसन करनी, डीपीआरओ मेरठ के अलावा अन्य एनजीओ के पदाधिकारी उपस्थित थे।
कभी हरनदी के नाम से जानी जाती थी हिंडन
हिंडन का पुराना नाम हरनदी या हरनंदी है। इसका उद्गम सहारनपुर जिले में हिमालय क्षेत्र के ऊपरी शिवालिक पहाड़ियों में पुर का टंका गांव से है। यह बारिश पर आधारित नदी है और इसका जल विस्तार क्षेत्र सात हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है। यह गंगा और यमुना के बीच के देआब क्षेत्र में मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और ग्रेटर नोएडा का 280 किलोमीटर का सफर करते हुए दिल्ली से कुछ दूर तिलवाड़ा यमुना में समाहित हो जाती है। रास्ते में इसमें कृष्ण , धमोला, नागदेवी, चेचही और काली नदी मिलती हैं। ये छोटी नदियां भी अपने साथ ढेर सारी गंदगी व रसायन ले कर आती हैं और हिंडन को और जहरीला बनाती हैं। कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जीवन रेखा कहलाने वाली हिंडन का पानी इंसान तो क्या जानवरों के लायक भी नहीं बचा है।
दूषित होने पर कम हुई आक्सीजन की मात्रा
इसमें ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम है। लगातार कारखानों का कचरा, शहरीय नाले, पूजन सामग्री और मुर्दों का अवशेष मिलने से मोहन नगर के पास इसमें ऑक्सीजन की मात्र महज दो तीन मिलीग्राम प्रति लीटर ही रह गई है। इस नदी में कोई जीव-जंतु शेष नहीं हैं, हैं तो केवल काईरोनास लार्वा। सनद रहे दस साल पहले तक इसमें कछुए, मेंढक, मछलियां खूब थे। बीते साल आईआईटी दिल्ली के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों ने यहां तीन महीने शोध किया था और अपनी रिपोर्ट में बताया था कि हिंडन का पानी इस हद तक विषैला हो गया है कि अब इससे यहां का भूजल भी प्रभावित हो रहा है।
Published on:
22 Apr 2018 11:12 pm
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